अग्रणी रहने को सोचें रचनात्मक: डॉ. कृष्णिया
खास बातें:
- आत्मानुभूति और सामंजस्य के साथ समन्वय सहभागिता जरूरी: डॉ. कृष्णिया
- जीवन में रचनात्मक सोच बनाती है सबसे अलग: डॉ. नवनीत कुमार
- एमएलटी, आरआईटी, ऑप्टोमैट्री और फॉरेंसिक साइंस के 150 स्टुडेंट्स रहे शामिल
-प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
सेण्टर फॉर टीचिंग लर्निंग एंड डवलपमेंट- सीटीएलडी के डायरेक्टर डॉ. आरएन कृष्णिया बतौर मुख्य वक्ता बोले कि मानव जन्म से ही रचनात्मक होता है। हमारी रचनात्मक सोच हमेशा हमें नए तरीकों से सोचने के लिए प्रेरित करती है। संसार में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जो समय के साथ नवीनीकरण के अभाव में आकाश से जमीन पर आ जाते हैं। उन्होंने दो नामचीन कंपनियों का भी उदाहरण दिया। श्री कृष्णिया तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ़ पैरामेडिकल साइंसेज की ओर से क्रिटिकल थिंकिंग, डिजाइन थिंकिंग एंड इंनोवेशन डिजाइन पर एक दिनी कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने शिल्प चिंतन पर व्याख्यान देते हुए कहा कि आत्मानुभूति के साथ समन्वय एवम् सामंजस्य के साथ सहभागिता जरूरी है। उन्होंने समझाया कि जब हम एक निर्धारित सीमा से बाहर जाकर सोचते हैं तभी कुछ नया कर पाते हैं। यह हमें तय करना होता हैं कि हम समाज के लिए एक साधन बनेंगे या उत्तरदायित्व। यदि हम समाज से पाने के विषय में ही सोचते रहेगें तो कभी भी समाज के लिए साधन नहीं बन पाएंगे। करीब दो घंटे चली कार्यशाला में उन्होंने पीपीटी के माध्यम से प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को कुछ पिक्चर-पजल दिखाए, जिनका उत्तर रचनात्मक सोच के आधार पर प्रतिभागियों ने उत्तर दिया।
वर्कशॉप में कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल सांइसेज के वाइस प्रिंसिपल डॉ. नवनीत कुमार ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि जीवन में रचनात्मक सोच किस तरह आपको सबसे अलग बनाती है। खास तौर पर पैरामेडिकल के विद्यार्थिओं में इसकी जरुरत क्यों है और इसकी सहायता से हम और इंनोवेशन कैसे कर सकते हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को हमेशा सकारात्मक और रचनात्मक सोच रखने के लिए प्रेरित किया। वर्कशॉप का शुभारंभ मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। संचालन फैकल्टी श्रीमती कंचन गुप्ता ने किया।