पर्यावरण के लिए बासी नारे नहीं, ग्रीन मूवमेंट की जरूरत : अनूप नौटियाल
देहरादून, 5 जून । एसडीसी फाउंडेशन के प्रमुख अनूप नौटियाल ने उत्तराखंड वासियों से आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सशक्त, सार्थक और सामयिक अपील की है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जारी अपील में श्री नौटियाल ने कहा कि पर्यावरण की चिंता रस्मी न हो बल्कि संजीदा ढंग से हो। उन्होंने प्रदेशवासियों से कहा है कि तीन माह बाद प्रदेश के सौ शहरों में निकाय चुनाव होंगे। उन चुनावों में लोग ऐसे व्यक्ति को मेयर, पालिका अध्यक्ष या पार्षद – सभासद चुनें जो पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में ठोस कार्य करने वाले हों।
श्री नौटियाल ने अपनी अपील में कहा है कि उत्तराखंड को एक नए ग्रीन मूवमेंट की जरूरत है। लिहाजा आगामी शहरी चुनाव में लोग उसी व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि चुनें जो पर्यावरण के लिए सिर्फ गाल न बजाता हो बल्कि निरंतर काम करता अथवा करती हो।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश के सामने बेहद बड़े पर्यावरणीय संकट हैं और इस संकट से बासी, घिसे पिटे स्लोगन और नारों से काम चलने वाला नहीं है। लिहाजा हमें अब ऐसे ग्रीन राजनेता चाहिए जो इन मुद्दों पर जागरूक भी हों और इस पर ईमानदारी से कार्य भी करते हों।
श्री नौटियाल की यह अपील न केवल सामयिक और सम्यक रूप से सार्थक प्रतीत होती है बल्कि धरती की सेहत के लिए भी जरूरी है। जिस तरह से देहरादून के लोगों ने इस साल सर्वकालिक उच्चतम तापमान का सामना किया है, उससे भविष्य की चिंता ज्यादा बढ़ गई है जबकि दूसरा पहलू यह है कि उत्तराखंड में हर साल अकेले हरेला पर्व पर करोड़ों पेड़ रोपे जाते हैं लेकिन चार माह बाद वे पेड़ धरती पर कम ही नजर आते हैं।
इस लिहाज से अनूप नौटियाल की चिंता ज्यादा प्रासंगिक और सामयिक हो जाती है कि हम बायो डाईवर्सिटी क्राइसिस, क्लाइमेट क्राइसिस और पॉल्यूशन एंड वेस्ट क्राइसिस के भीषण संकट से गुजर रहे हैं और इसका समाधान ईमानदार कोशिशों से ही हो सकता है तथा निकायों में चुने जाने वाले प्रतिनिधि इस अभियान की आधारशिला बन सकते हैं। इस दृष्टि से श्री नौटियाल का जनता से आह्वान कर्तव्यबोध तो कराता ही है, बेहद सामयिक और प्रासंगिक भी है।