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लोक साहित्य के भीष्म पितामह हैं चातक

सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. गोविंद चातक उत्तराखंडी लोक साहित्य एवं लोकवार्ता के जनक हैं। उन्होंने पर्वतीय लोकजीवन में प्रचलित मान्यताओं, लोकगीतों, कथा-गाथाओं, लोक विधाओं व गढ़वाली भाषा में महत्वपूर्ण कार्य किए। सही मायनों में डॉ. चातक लोक साहित्य के भीष्म पितामह हैं। शेष अन्य जितने भी लोग उत्तराखंडी लोक साहित्य में काम करने आए, सब चातक के बाद आते हैं।

कीर्तिनगर नागरिक विकास समिति की ओर से शनिवार को नगर में डॉ. गोविंद चातक की जयंती पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्य वक्ता लोक कवि गणेश खुगशाल ‘गणी’ ने ये उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि डॉ. चातक द्वारा सृजित साहित्य का महत्व आज कई गुना बढ़ गया है। मुख्य अतिथि वयोवृद्ध शिक्षाविद् श्याम सिंह कंडारी ने डॉ. चातक के लोक साहित्य को प्रदेश के लिए कभी न समाप्त होने वाली हीरे की खान बताया। साथ ही इसे संरक्षित रखने को अनिवार्य रूप से स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग भी उठाई। अन्य वक्ताओं ने डॉ. चातक लोकभाषा साहित्य अकादमी खोले जाने की जरूरत बताई।

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