सूचना आयोगों में लंबित मामलों की संख्या 4 लाख पार, आरटीआई कानून के 20 वर्ष पूरे होने पर चिंताजनक स्थिति
-uttarakhand himalaya desk-
सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम को लागू हुए 12 अक्टूबर को 20 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर सूचना आयोगों के कामकाज पर आधारित एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देशभर में सूचना आयोगों में 4 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। यह आंकड़ा 30 जून 2025 तक का है।
इसके अलावा, देश के 29 सूचना आयोगों (ICs) में से 6 आयोग 1 जुलाई 2024 से 7 अक्टूबर 2025 के बीच विभिन्न अवधियों के लिए निष्क्रिय (defunct) रहे। झारखंड और हिमाचल प्रदेश के सूचना आयोग अब भी निष्क्रिय हैं।
ये निष्कर्ष नागरिक समाज संगठन सतर्क नागरिक संगठन (Satark Nagrik Sangathan) द्वारा जारी “भारत में सूचना आयोगों के प्रदर्शन पर रिपोर्ट कार्ड, 2024-25” का हिस्सा हैं। यह संगठन हर वर्ष आरटीआई अधिनियम के तहत प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार करता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अपील या शिकायत के निस्तारण में लगने वाले समय के अनुमान के अनुसार, तेलंगाना राज्य सूचना आयोग (SIC) को किसी मामले के निपटारे में लगभग 29 वर्ष और 1 महीना लगेगा — यानी यदि कोई मामला 1 जुलाई 2025 को दायर किया गया, तो उसका निस्तारण वर्ष 2054 में होगा।
त्रिपुरा का सूचना आयोग किसी मामले को निपटाने में 23 वर्ष, छत्तीसगढ़ को 11 वर्ष, जबकि मध्य प्रदेश और पंजाब को लगभग 7 वर्ष लगेंगे।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 18 आयोगों को किसी अपील या शिकायत का निस्तारण करने में 1 वर्ष से अधिक समय लग रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई 2024 से 30 जून 2025 के बीच 2.41 लाख अपीलें और शिकायतें देशभर के 27 सूचना आयोगों में दर्ज की गईं।
