ट्रंप की नई टैरिफ नीति लागू: वैश्विक व्यापार में भूचाल, भारत पर 50% शुल्क
नई दिल्ली/वाशिंगटन, 27 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बहुचर्चित नई टैरिफ नीति आज से लागू हो गई है, जिसके तहत भारत सहित कई देशों के निर्यात पर भारी आयात शुल्क लगा दिया गया है। भारत से अमेरिका को जाने वाले उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाकर ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट संकेत दिया है कि यह कदम रूस से भारत की तेल खरीद के विरोध में उठाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से वैश्विक व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है, अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा और आने वाले महीनों में व्यापार युद्ध और गहराने की आशंका है।
🔍 ट्रंप की रणनीति: अमेरिका फर्स्ट का विस्तार
ट्रंप ने जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद का दूसरा कार्यकाल संभालते ही इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का इस्तेमाल कर आयात शुल्क बढ़ाने की शुरुआत की थी। अप्रैल 2025 में सभी आयातों पर 10% का बेस टैरिफ लगाया गया, जिसे चरणबद्ध तरीके से विभिन्न देशों पर बढ़ाया गया—चीन पर 30%, कनाडा पर 35%, मैक्सिको पर 25% और ब्राजील पर 50%।
भारत पर अब तक 25% टैरिफ था, जो आज से दोगुना होकर 50% हो गया है। ट्रंप का दावा है कि यह कदम घरेलू उद्योग को मजबूती देगा और अमेरिकी व्यापार घाटा कम करेगा, जबकि आलोचक इसे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए “छिपा हुआ कर” बता रहे हैं।
व्हाइट हाउस का अनुमान है कि 2025 में टैरिफ से 300 अरब डॉलर से अधिक राजस्व आएगा। जुलाई में ही यह राजस्व 29.6 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। हालांकि टैक्स फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि इससे अमेरिकी परिवारों पर औसतन 1,300 डॉलर का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
🇮🇳 भारत पर सीधा असर
50% टैरिफ से भारत के 60.2 अरब डॉलर के निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा। इनमें वस्त्र, रत्न-आभूषण, फर्नीचर, कालीन और समुद्री उत्पाद शामिल हैं। अमेरिका का आरोप है कि रूस से भारत का बढ़ता तेल आयात (40%) यूक्रेन युद्ध में रूस को मदद दे रहा है। भारत ने इस आरोप को “अनुचित” बताते हुए कहा है कि यह उसकी ऊर्जा सुरक्षा का सवाल है।
दक्षिण कोरिया पर भी 15% टैरिफ को स्थायी कर दिया गया है। इसके साथ ही अमेरिका का औसत प्रभावी टैरिफ 18% के करीब पहुंच गया है, जो महामंदी (Great Depression) के बाद सबसे ऊंचा स्तर है।
📉 आर्थिक असर: महंगाई और नौकरियों पर संकट
पेन व्हार्टन बजट मॉडल के अनुसार, इन टैरिफ से आने वाले वर्षों में अमेरिकी जीडीपी में 6-8% तक की गिरावट संभव है।
मुद्रास्फीति का खतरा: गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक टैरिफ का बोझ धीरे-धीरे उपभोक्ताओं पर शिफ्ट होगा। कपड़ों की कीमतें 17% तक बढ़ सकती हैं, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स में भी भारी वृद्धि होगी।
नौकरी पर असर: येल बजट लैब का अनुमान है कि इन टैरिफ से करीब 6 लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं।
राजस्व बनाम नुकसान: अनुमानित 2.9 ट्रिलियन डॉलर राजस्व के बावजूद जवाबी टैरिफ से अमेरिकी निर्यात को नुकसान होगा।
🌍 वैश्विक व्यापार पर झटका
अमेरिका की इस नीति से दुनिया भर में हलचल है। जापान के निक्केई सूचकांक में अप्रैल में 7.8% की गिरावट आई थी। भारत के निर्यात में 20-70% तक गिरावट की आशंका है, जिससे जीडीपी पर भी असर पड़ेगा। सूरत के हीरे-रत्न उद्योग में 50,000 से ज्यादा कारीगर पहले ही बेरोजगार हो चुके हैं।
यूरोपीय संघ और कनाडा ने अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ की योजना बना ली है। चीन की अर्थव्यवस्था पर भी 0.2% तक का नकारात्मक असर पड़ सकता है।
🏛️ राजनीतिक और रणनीतिक संकेत
ट्रंप प्रशासन का यह फैसला चुनावी वादों को पूरा करने का प्रयास माना जा रहा है। हालांकि कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने IEEPA के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हुए टैरिफ को अवैध बताया है। भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना है और ब्रिक्स देशों द्वारा स्थानीय मुद्रा में व्यापार बढ़ाने से डॉलर की वैश्विक प्रधानता को चुनौती मिल सकती है।
🔮 अनिश्चित भविष्य
ट्रंप की नई टैरिफ नीति अमेरिकी खजाने के लिए राजस्व का स्रोत जरूर है, लेकिन महंगाई, नौकरी हानि और वैश्विक तनाव की कीमत पर। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यह स्थिति 1930 के स्मूट-हॉले टैरिफ एक्ट जैसी ऐतिहासिक मंदी की ओर ले जा सकती है। भारत और अन्य देशों के लिए अब व्यापार का विविधीकरण और वैकल्पिक बाजार खोजना समय की मांग है।
