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महेंद्र भट्ट ने किया नेतृत्व परिवर्तन से इंकार, 2027 में भी धामी के नेतृत्व में लड़ेगी भाजपा

 

देहरादून, 3 सितम्बर।।उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में किसी भी तरह के बदलाव की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है। अमर उजाला सहित कई प्रमुख अखबारों में प्रकाशित खबर के अनुसार भट्ट ने साफ कहा कि 2027 का विधानसभा चुनाव भी धामी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। यह बयान पार्टी के भीतर एकता का संदेश देने के साथ-साथ विपक्ष की अटकलों पर भी विराम लगाता है।

पृष्ठभूमि: अस्थिरता से स्थिरता तक का सफर

उत्तराखंड में भाजपा 2017 से सत्ता में है। 2021 में तीरथ सिंह रावत के स्थान पर धामी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई थी। इसके बाद 2022 में पार्टी ने धामी के नेतृत्व में बहुमत से जीत दर्ज की। धामी की छवि एक युवा और निर्णायक नेता की रही है। हालांकि, हाल के वर्षों में राज्य को प्राकृतिक आपदाओं (भूस्खलन, बाढ़) और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ा। इसके बावजूद 2025 के पंचायत चुनावों में भाजपा को सफलता मिली।

भट्ट का बयान और केंद्रीय नेतृत्व का संकेत

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट जुलाई 2025 में दोबारा इस पद पर चुने गए थे। उनका कहना है, “राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। धामी के नेतृत्व में ही 2027 के विधानसभा चुनाव होंगे।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से दिया होगा. ताकि फिलहालआपदा कि स्थिति में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल न बने।

राजनीतिक निहितार्थ: विपक्ष पर दबाव और पार्टी एकता का संदेश

1. आंतरिक कलह को साधने का प्रयास:
राज्य में 2021 से पहले भाजपा में कई बार नेतृत्व बदलने की स्थिति बनी, जिससे अस्थिरता का माहौल था। भट्ट का बयान यह संकेत देने का प्रयास है कि अब पार्टी पूरी तरह धामी के नेतृत्व में एकजुट है।

2. विपक्षी रणनीति पर चोट:
कांग्रेस और अन्य दल लगातार आपदा प्रबंधन, बेरोजगारी, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर भाजपा को घेरते रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने हाल ही में पंचायत चुनावों को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। भाजपा का यह बयान विपक्ष की “नेतृत्व परिवर्तन” जैसी  अटकालों को कमजोर करता है।

3. 2027 चुनाव के लिए तैयारी:
भाजपा की रणनीति है कि धामी को 2027 तक ‘स्थिर नेतृत्व’ का चेहरा बनाकर जनता के सामने पेश किया जाए। पंचायत चुनावों की सफलता इस दिशा में पहला कदम है।

 

भविष्य की राह: तीसरी बार सत्ता में वापसी की कठिन चुनौती

भाजपा अब 2027 में हैट्रिक की तैयारी कर रही है। हालांकि इस बार यह लक्ष्य इतना आसान नही है। राज्य में आपदा प्रबंधन, पर्यटन विकास, रोजगार और निवेश के क्षेत्र में प्रदर्शन को मजबूत करना भाजपा के लिए काफी कठिन होगा । वहीं विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर हमलावर रुख अपना सकता है। कठिन परिस्थितियों  में भी महेंद्र भट्ट का यह बयान भाजपा के संगठनात्मक आत्मविश्वास जुटाने का प्रयास है साथ ही  यह संदेश साफ है कि 2027 तक भाजपा में धामी ही पार्टी का चेहरा रहेंगे । लेकिन बावजूद महेन्द्र भट्ट के स्पष्टीकरण के पार्टी के अंदर से ही ऐसा माहौल बनाया जाता रहा है जैसे लोगों को और खास कर मीडिया को लगे कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो रहा है। इसलिए अतकालीन को विराम देने के लिए महेन्द्र भट्ट को पार्टी के अंदर के नेतृत्व परिवर्तन का संकेत देने वाले सूत्र बंद करने होंगे।

 

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