वृद्ध दादा बैंक से मृत पुत्रवधू की जमा राशि दिलाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर
रिखणीखाल, 3 सितम्बर (प्रभूपाल)। ग्राम गलैगांव, पोस्ट-गाडियूपुल (रिखणीखाल) के 72 वर्षीय झबर सिंह नेगी इन दिनों अपनी मृत पुत्रवधू मीनाक्षी नेगी के बैंक खाते में जमा धनराशि को अपने पोते-पोतियों के नाम कराने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
जानकारी के अनुसार, मीनाक्षी नेगी (पत्नी लापता बीरेन्द्र सिंह नेगी) का उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक कोटडीसैण शाखा में एकल बचत खाता था, जिसमें लगभग 1.50 से 2 लाख रुपये की राशि शेष है। मीनाक्षी का निधन 3 अप्रैल 2025 को हो गया। उनके पति बीरेन्द्र सिंह नेगी लगभग 13 साल से लापता हैं। इन वर्षों में उनकी कोई सूचना तक नहीं मिली।
मीनाक्षी के दो बच्चे—तरण नेगी (17) और कंचन नेगी (15)—अब अपने वृद्ध दादा झबर सिंह के सहारे हैं। मजदूरी और स्थानीय मेलों में जलेबी बेचकर गुजर-बसर करने वाले झबर सिंह का कहना है कि वे इस धनराशि को पोते-पोतियों के भविष्य के लिए सुरक्षित कराना चाहते हैं। दोनों बच्चों के खाते भी इसी बैंक शाखा में हैं।
परिवार का कहना है कि बैंक प्रबंधन उन्हें बार-बार चक्कर कटवा रहा है और कोई ठोस मार्गदर्शन नहीं दे रहा। वृद्ध झबर सिंह की पीड़ा यह है कि वह उम्र के इस पड़ाव में बैंक के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन बच्चों के हक की राशि दिलाने में सफलता नहीं मिल रही।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और बैंक को सहानुभूति दिखानी चाहिए और इस मामले का त्वरित समाधान निकालना चाहिए, ताकि इन बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
