टीएमयू में दशलक्षण महापर्व : उत्तम तप और संयम धर्म का अनूठा उत्सव

मुरादाबाद, 3 सितम्बर । तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में चल रहे पर्वाधिराज दशलक्षण महापर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म की साधना एवं अनुष्ठानों का भव्य आयोजन हुआ। प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में नव देवता पूजन, श्री आदिनाथ जिन पूजन, सोलहकारण पूजन और दशलक्षण पूजन विधि-विधानपूर्वक सम्पन्न हुए।
इस अवसर पर सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने तपोव्रत का संकल्प लिया। प्रथम स्वर्ण कलश से श्री कुशाग्र जैन, द्वितीय से श्री दिव्यांशु जैन, तृतीय से श्री अविनाश जैन और चतुर्थ से आदित्य डॉ. रत्नेश जैन को अभिषेक का सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रथम स्वर्ण शांतिधारा का पुण्य डॉ. हर्षित सेठी, डॉ. अनुष्का, डॉ. उपिका, डॉ. अंशिका, डॉ. सजल, डॉ. अंशी जैन, श्री उमंग गंगवाल, श्री अरिहंत जैन और टीशा जैन को मिला। वहीं द्वितीय रजत शांतिधारा का सौभाग्य डॉ. अक्षय जैन, श्री आरव जैन और स्वाति जैन को प्राप्त हुआ। अष्ट कुमारी का पुण्य ऋषिता जैन ने अर्जित किया। झलक जैन और गणिका जैन ने भक्तांबर का पाठ किया, जबकि तत्वार्थ सूत्र के सप्तम अध्याय का वाचन श्री रोशन जैन ने किया।

उत्तम संयम धर्म पर प्रवचन
शाम को रिद्धि-सिद्धि भवन में आयोजित प्रवचन में प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री ने कहा—
“मन, वचन और काय से संयम स्वीकारने पर ही जीवन में सच्चा संयम आ सकता है। पांचों इन्द्रियों और मन को वश में करना ही संयम है। मोक्ष रूपी फल केवल संयम से ही संभव है, बिना संयम के मोक्ष नहीं मिल सकता।”
इस अवसर पर भोपाल की सचिन एंड पार्टी द्वारा प्रस्तुत भक्ति-गीतों— “संकट हमारा कौन हरेगा, तुम न सुनोगे तो कौन सुनेगा…”, “झूम उठी धरती तो झूम उठा आसमां…” और “प्रभु नाम जपने से नवजीवन मिलता है…”—ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
सांस्कृतिक संध्या और नाट्य प्रस्तुति
सांस्कृतिक संध्या से पूर्व लॉ कॉलेज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित और प्रिंसिपल प्रो. एस.के. सिंह ने दिव्य घोष के बीच श्रीजी की आरती को जिनालय से रिद्धि-सिद्धि भवन तक ले जाने का सौभाग्य प्राप्त किया।
इसके बाद लॉ कॉलेज के विद्यार्थियों ने ऑडिटोरियम में “नेमी-राजुलः एक अमृत गाथा” नामक नाटक का मंचन किया। नाटक ने नेमिनाथ और राजुल की अधूरी प्रेमकथा के माध्यम से संयम और त्याग का अद्भुत संदेश दिया। विवाह का समय निश्चित होने के बावजूद राजकुमार नेमी ने जीवों की रक्षा हेतु संयम का मार्ग चुना और विवाह का त्याग कर दिया। यह निर्णय केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समस्त प्राणियों की करुणा और अहिंसा के लिए था। नाटक का संयोजन डॉ. नम्रता जैन द्वारा किया गया।
गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, श्रीमती जाह्नवी जैन सहित विश्वविद्यालय परिवार के अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।
कार्यक्रमों में वीसी प्रो. वी.के. जैन, श्री मनोज जैन, प्रो. प्रवीण कुमार जैन, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. आशीष सिंघई आदि की भी उपस्थिति रही।
