भारत के पास 2035 तक होंगे 200 युद्धपोत और पनडुब्बियां, समुद्री ताकत में होगा दबदबा
नौसेना को 74 स्वदेशी युद्धपोतों और जहाज़ों के लिए 2.3 लाख करोड़ रुपये की शुरुआती मंजूरी
नई दिल्ली 8 सितम्बर: भारत लगातार अपनी नौसैनिक शक्ति को मज़बूत और नेटवर्क आधारित बना रहा है। 2035 तक भारतीय नौसेना के पास 200 से अधिक युद्धपोत और पनडुब्बियां होंगी, जो समुद्री हितों की रक्षा करेंगी और चीन व पाकिस्तान से बढ़ते संयुक्त ख़तरों का मुकाबला करेंगी।
समुद्री आयाम अब सामरिक गणनाओं में और भी अहम होते जा रहे हैं। मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच नौसेना के पास फिलहाल 55 बड़े और छोटे युद्धपोत निर्माणाधीन हैं, जिनकी कुल लागत 99,500 करोड़ रुपये है।
नौसेना को स्वदेशी युद्धपोतों और जहाज़ों के निर्माण के लिए “आवश्यकता की स्वीकृति” (AoN) मिल चुकी है। इनकी संख्या 74 होगी और इन पर लगभग 2.3 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। इन परियोजनाओं में डीजल-विद्युत पनडुब्बियां, नेक्स्ट-जनरेशन विध्वंसक जहाज़, बहुउद्देश्यीय गश्ती पोत, एंटी-सबमरीन वारफेयर कॉर्वेट्स और खदान-निरोधक पोत शामिल होंगे।
स्वदेशी विमानवाहक पोत पर ध्यान
इसके अलावा, नौसेना स्वदेशी विमानवाहक पोत (INS विक्रांत) के बाद दूसरे विमानवाहक पोत पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। इसका आकार 40,000 टन होगा और यह रूसी मूल के INS विक्रमादित्य की जगह लेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, एक विमानवाहक पोत के निर्माण में करीब 15 वर्ष लगते हैं।
मौजूदा स्थिति
इस समय नौसेना के पास 140 युद्धपोत हैं, जिनमें 17 डीजल-विद्युत पनडुब्बियां और 2 परमाणु पनडुब्बियां शामिल हैं। साथ ही नौसेना के पास 250 से अधिक विमान और हेलीकॉप्टर भी हैं। पुराने युद्धपोतों को धीरे-धीरे हटाकर अगले 10 वर्षों में नौसेना के पास कुल 200 युद्धपोत और पनडुब्बियां हो जाएंगी।
चीन और पाकिस्तान की चुनौती
दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना के तौर पर चीन के पास फिलहाल 370 युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं। चीन तेजी से हिंद महासागर क्षेत्र में अपना दायरा बढ़ा रहा है। उसने जिबूती (अफ्रीका), कराची और ग्वादर (पाकिस्तान) तथा कंबोडिया में ठिकाने बनाए हैं। चीन पाकिस्तान की नौसैनिक क्षमताओं को भी बढ़ा रहा है। पाकिस्तान को 8 युआन या हैंगर श्रेणी की डीजल-विद्युत पनडुब्बियां दी जा रही हैं, जिनमें स्वतंत्र प्रणोदन प्रणाली (AIP) लगी होगी, जिससे उनकी समुद्री दूरी और सहनशक्ति बढ़ जाएगी।
पाकिस्तान के पास पहले से ही 5 अगोस्टा श्रेणी की पनडुब्बियां हैं। हैंगर श्रेणी की पनडुब्बियां मिलने से पाकिस्तान को क्षमता में बड़ा इज़ाफा होगा।
आर्थिक असर और नौकरियाँ
नौसैनिक युद्धपोतों के निर्माण पर हुआ निवेश घरेलू अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर डालता है। एक अधिकारी ने कहा, “युद्धपोत निर्माण पर किया गया निवेश घरेलू उद्योगों में 1.8 गुना तक प्रभाव डालता है और इससे पांच से छह गुना तक नौकरियाँ पैदा होती हैं।”
भविष्य की योजनाएँ
भारत अब 10 नए डीजल-विद्युत पनडुब्बियों के निर्माण की तैयारी कर रहा है, जिनमें AIP और लंबी दूरी के क्रूज़ मिसाइल भी होंगे। इसका निर्माण मझगांव डॉक (Mazagon Docks) और जर्मनी की ThyssenKrupp Marine Systems (TKMS) की साझेदारी में किया जाएगा।
