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नेपाल में सत्ता का शून्य: कोई सरकार नहीं, सड़कों पर प्रदर्शनकारी और सेना की मौजूदगी

 

काठमांडू/10 सितंबर ।नेपाल इस समय अपनी सबसे बड़ी राजनीतिक और संवैधानिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल दोनों के इस्तीफों के बाद देश में कोई स्पष्ट सरकार या नेतृत्व नहीं बचा है। संसद भवन से लेकर सुप्रीम कोर्ट और मंत्रालयों तक, काठमांडू की सड़कों पर प्रदर्शनकारी और जेन-जी आंदोलन का कब्ज़ा है, जबकि हालात संभालने के लिए नेपाली सेना तैनात कर दी गई है।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का इस्तीफा:
9 सितंबर को हिंसक प्रदर्शनों के दबाव में प्रधानमंत्री ओली और राष्ट्रपति पौडेल दोनों ने इस्तीफा दे दिया। इससे नेपाल पूरी तरह सत्ता-विहीन हो गया।

जेन-जी आंदोलन से जुड़े युवाओं ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और सरकारी दफ्तरों पर नियंत्रण जमा लिया है। उनका गुस्सा अब केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध पर नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता पर केंद्रित है।

सेना की मौजूदगी:
सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल ने शांति की अपील की है। सेना ने कर्फ्यू और सुरक्षा घेराबंदी के जरिए स्थिति संभालने की कोशिश की है, लेकिन प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ में नहीं लिया है।

अंतरिम सरकार की मांग:
प्रदर्शनकारी काठमांडू के मेयर बालेन शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं, हालांकि इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

हिंसा और अशांति

बीते दो दिनों में हुए प्रदर्शनों में अब तक 19–22 लोगों की मौत और 400 से अधिक घायल हुए हैं।

कई पूर्व प्रधानमंत्रियों और बड़े नेताओं के घरों पर हमले, आगजनी और तोड़फोड़ हुई है।

काठमांडू, ललितपुर, भक्तपुर सहित कई शहरों में कर्फ्यू लागू है।

त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुई तोड़फोड़ के कारण उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।

सोशल मीडिया विवाद

4 सितंबर को नेपाल सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (फेसबुक, यूट्यूब, एक्स आदि) पर पाबंदी लगाई थी।

8 सितंबर की रात यह प्रतिबंध हटा लिया गया, लेकिन तब तक प्रदर्शन एक बड़े जनविद्रोह में बदल चुके थे।

मंत्रियों के इस्तीफे और गठबंधन का टूटना

गृह मंत्री रमेश लेखक, विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और अन्य मंत्री पहले ही पद छोड़ चुके हैं।नेपाली कांग्रेस के सभी मंत्रियों ने भी गठबंधन सरकार से हटने का एलान किया, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन बिखर गया।

नेपाल की स्थिति इस वक्त पूरी तरह अनिश्चित है। कोई सरकार नियंत्रण में नहीं है, सेना केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने में जुटी है, और सड़कों पर जेन-जी आंदोलन के प्रदर्शनकारी निर्णायक शक्ति के रूप में उभर आए हैं।

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