आपदा/दुर्घटना

खराब मौसम ने रोका पीएम मोदी का उत्तराखंड आपदा क्षेत्रों का हवाई दौरा, देहरादून में पीड़ित परिवारों से की मुलाकात

PM interacting with Flood affected-families, in Uttarakhand on September 11, 2025.

-By-jay singh rawat-

देहरादून, 12 सितंबर 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण 11 सितंबर को रद्द हो गया, जिससे उन्हें राज्य में मानसूनी आपदा की तबाही का प्रत्यक्ष आकलन करने का मौका नहीं मिल सका। जो आपदा पीड़ित प्रधानमंत्री से मिलाए गये वे कौन थे और कहाँ के थे, इसकी स्पष्ट जानकारी प्रशासन द्वारा अभी दी जानी है। क्योंकि धराली, थराली और चेपड़ों जैसे सुदूर क्षेत्रों के आपदा पीड़ितों का इतनी जल्दी देहरादून  हवाई अड्डे पहुंचना आसान नहीं है।

PM interacting with Flood affected-families, in Uttarakhand on September 11, 2025.

मूल योजना के अनुसार, पीएम मोदी को एमआई-17 हेलिकॉप्टर से उत्तरकाशी और चमोली जैसे जिलों के प्रभावित इलाकों का दौरा करना था, लेकिन यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। यह नवीनतम अपडेट राज्य सरकार और केंद्र के अधिकारियों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है, जहां पीएम ने आपदा प्रबंधन की समीक्षा की लेकिन हवाई यात्रा संभव नहीं हो सकी।

कारण के रूप में, अधिकारियों ने भारी बादल छाए रहने, कम दृश्यता और सुरक्षा संबंधी जोखिमों को जिम्मेदार ठहराया है। मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार, राज्य में लगातार बारिश और बादलों की वजह से हेलिकॉप्टर उड़ान असुरक्षित थी, जिसके चलते दौरा रद्द करने का फैसला लिया गया। पीएम मोदी शाम करीब 4:15 बजे विशेष विमान से जॉलीग्रांट हवाई अड्डे पहुंचे थे, लेकिन मौसम की वजह से आगे की योजना में बदलाव करना पड़ा।

PM interacting with Flood affected-families, in Uttarakhand on September 11, 2025.

हवाई सर्वेक्षण रद्द होने के बाद, पीएम मोदी ने देहरादून के जॉलीग्रांट हवाई अड्डे और स्टेट गेस्ट हाउस में ही आपदा पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने प्रभावितों को सांत्वना दी, उनकी समस्याएं सुनीं और केंद्र सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।सवाल उठता है कि  देहरादून  हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री से कौन से और कहाँ के आपदा पीड़ितों  को प्रशासन ने मिलाया है। उम्मीद की  जानी चाहिए कि प्रशासन ने हवाई अड्डे में मौजूद आपदा पीड़ितों के बारे में सही जानकारी दी होगी। क्योंकि धराली, थराली, चेपड़ों, पौड़ी गढ़वाल (सैंजी), बागेश्वर ,कपकोट और रुद्रप्रयाग के आपदा पीड़ितों और देहरादून के आपदा पीड़ितों की समस्याएं एक जैसी हों, यह जरूरी नहीं है।

इसके अलावा, उन्होंने एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और ‘आपदा मित्रों’ के साथ उच्च-स्तरीय बैठक की, जहां राहत कार्यों की समीक्षा हुई और जवानों की सराहना की गई। बैठक में पीएम ने 1,200 करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज की घोषणा की, जिसमें बुनियादी ढांचे की मरम्मत, घरों का पुनर्निर्माण और अनाथ बच्चों के लिए पीएम केयर्स फंड से समर्थन शामिल है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरप्रीत सिंह भी इस दौरान मौजूद रहे। दौरा संक्षिप्त रहा और पीएम शाम को दिल्ली रवाना हो गए।

उत्तराखंड में अप्रैल से सितंबर तक मानसून के दौरान भारी बारिश, बादल फटने, भूस्खलन, बाढ़ और भू-धंसाव से हुई तबाही का विवरण बेहद चिंताजनक है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 11 सितंबर तक 86 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 94 लोग अभी भी लापता हैं। इससे पहले के रिपोर्ट्स में 79 से 81 मौतें और 90 से 94 लापता लोगों का उल्लेख था, लेकिन ताजा अपडेट्स में यह संख्या बढ़ी है। घायलों की संख्या 114 से अधिक है, और हजारों लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। मुख्य रूप से प्रभावित जिले उत्तरकाशी (धराली-हरसिल क्षेत्र, जहां 5 अगस्त को बादल फटने से 68 लोग लापता हुए), चमोली की पिंडर घाटी के थराली और चेपड़ों आदि स्थानों पर भारी तबाही हुयी है।पौड़ी गढ़वाल (सैंजी), बागेश्वर (कपकोट), रुद्रप्रयाग और नैनीताल हैं।

नुकसान का आर्थिक अनुमान 7,500 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें राज्य सरकार ने केंद्र से 5,702 करोड़ रुपये की विशेष सहायता मांगी थी। बुनियादी ढांचे पर असर: 163 सड़कें अवरुद्ध, जिसमें 5 राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं; 40-50 इमारतें पूरी तरह नष्ट; पुल, बिजली लाइनें और जल आपूर्ति प्रणालियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त। कृषि क्षेत्र में फसलों का भारी नुकसान हुआ है, और पर्यटन उद्योग ठप्प पड़ा है। पिछले दशक में उत्तराखंड में फ्लैश फ्लड और लैंडस्लाइड से 705 मौतें हुई हैं, जिसमें फ्लैश फ्लड से अकेले 389 मौतें शामिल हैं।

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