पूर्व राज्यपाल कोश्यारी बोले मोदी-धामी की मजबूती से ही उत्तराखंड का अगला दशक

देहरादून. 18 सितम्बर। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बृहस्पतिवार को एक जोशपूर्ण उद्घोषणा की—अगला दशक उत्तराखंड का तभी होगा, जब हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों को मजबूती प्रदान करेंगे। उन्होंने पिछले चार वर्षों में धामी सरकार द्वारा हासिल की गई शानदार उपलब्धियों की लंबी सूची का उल्लेख करते हुए कहा कि धामी न केवल एक सफल, बल्कि बेहद लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में उभरे हैं। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि न तो विपक्षी नेता और न ही कार्यकर्ता व्यक्तिगत रूप से उनकी आलोचना करने का साहस जुटा पाए हैं।
मुख्यमंत्री के मुख्य मीडिया समन्वयक मदनमोहन सती की पहल पर संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद द्वारा आयोजित एक भव्य विचार गोष्ठी में कोश्यारी ने धामी की प्रशंसा करते हुए उनके व्यक्तित्व की सरलता और अनोखी खूबियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि धामी जहां से भी अच्छे गुण ग्रहण करने की प्रेरणा पाते हैं, उसे सहर्ष आत्मसात कर लेते हैं। जहां निर्णयों को लागू करने के लिए सख्ती की जरूरत होती है, वहां वे दृढ़ता से आगे बढ़ते हैं, जबकि लोगों से मिलने-जुलने और संवाद स्थापित करने में उनकी विनम्रता हर किसी की जुबान पर है। तुलसीदास के प्रसिद्ध दोहे “तज दे बचन कठोर” का हवाला देते हुए कोश्यारी ने कहा कि राजनीति में मधुरता बनाए रखना कठिन है, परंतु पिछले चार वर्षों में किसी ने धामी को कठोर वचन बोलते नहीं देखा। फिर भी, शासन संचालन के लिए जहां सख्ती आवश्यक होती है, वहां वे पीछे नहीं हटते। उन्होंने योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और जनसहभागिता बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि सरकार विकास की राह पर तेजी से अग्रसर है।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कमेटी की सदस्य प्रो. सुरेखा डंगवाल ने धामी के साहस की सराहना करते हुए कहा कि यूसीसी लागू करने का कदम एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय था। चुनौतियों और आशंकाओं के बावजूद उत्तराखंड ने इसे सफलतापूर्वक लागू कर दिखाया। वहीं, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बेहतर कार्यान्वयन के लिए धामी सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि स्कूली, उच्च और दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में पिछले चार वर्षों में उत्तराखंड ने अभूतपूर्व प्रगति की है।
यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार के प्रति सरकार के समर्पण को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री स्वयं इन योजनाओं की निगरानी करते हैं, जिसके फलस्वरूप देश की पांचवीं साइंस सिटी अगले साल उत्तराखंड में स्थापित होगी। मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो. गोविंद सिंह ने नकल विरोधी सख्त कानून लाकर नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए धामी सरकार की सराहना की, जो देश के किसी भी राज्य में अनुपम है।
दून विश्वविद्यालय के डीन प्रो. हरीश चंद्र पुरोहित ने धर्मांतरण विरोधी कानून पर अपने विचार रखे, जबकि उच्च शिक्षा के पूर्व उप निदेशक प्रो. गोविंद सिंह रजवार ने उच्च शिक्षा के स्तर में उल्लेखनीय सुधार की बात कही। हिंदी अकादमी दिल्ली के पूर्व सचिव डॉ. हरिसुमन बिष्ट ने गर्व से घोषणा की कि उत्तराखंड पहला राज्य है, जहां कलाकारों और साहित्यकारों को एक से पांच लाख रुपये तक के पुरस्कार दिए जा रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार विजेंद्र रावत और वैज्ञानिक आईएस नेगी ने बागवानी क्षेत्र में सरकार की योजनाओं और उनके प्रभावी क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला। कपकोट के विधायक सुरेश गड़िया ने निवेश आकर्षण में हासिल उपलब्धियों को साझा किया, जबकि कैंट विधायक सविता कपूर ने राष्ट्रीय खेल जैसे बड़े आयोजनों को सफलतापूर्वक आयोजित करने का श्रेय धामी सरकार को दिया। प्रवासी परिषद के उपाध्यक्ष पूरण चंद्र नैलवाल ने प्रवासियों के साथ सरकार के संवाद और राज्य स्थापना दिवस पर होने वाले सम्मेलन की चर्चा की।
संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट ने धामी को संवेदनशील और विकासोन्मुखी मुख्यमंत्री बताते हुए आभार जताया। दर्जाधारी राज्य मंत्री विनोद उनियाल ने राज्य हित में सरकार के उत्कृष्ट कार्यों को सराहा। कार्यक्रम संयोजक और मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक मदन मोहन सती ने उत्तराखंड के विकास में महत्वपूर्ण योजनाओं का विस्तृत वर्णन किया। संचालन नीरज ब्वाड़ी ने बखूबी किया। इस अवसर पर मदन मोहन सती की पुस्तक नायक से जननायक पुष्कर सिंह धामी का विमोचन भी हुआ, जो धामी के नेतृत्व की प्रेरक कहानी को समेटे हुए है।
