गैंडे दुनियां में घट रहे मगर भारत और नेपाल में बढ़ते जा रहे
भारत और नेपाल में गैंडों की संख्या 4 हज़ार पार : असम में सबसे ज्यादा, करीब 2,900 गैंडे
–उत्तराखंड हिमालय डेस्क-
एक समय विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुका एक सींग वाला गैंडा (Rhinoceros unicornis), अब सौ साल बाद नई ऊँचाई पर पहुंच गया है। भारत और नेपाल में इस प्रजाति की अनुमानित आबादी 4,075 हो गई है — जिसमें भारत में 3,323 और नेपाल में 752 गैंडे शामिल हैं। यह आँकड़े स्टेट ऑफ द राइनो 2025 रिपोर्ट में प्रकाशित किए गए हैं, जिसे इंटरनेशनल राइनो फाउंडेशन (IRF) ने जारी किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-नेपाल में गैंडों की संयुक्त आबादी 2012 में 2,150 थी और नेपाल में करीब 400, जबकि अब यह संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह वृद्धि बाकी गैंडे की प्रजातियों की वैश्विक गिरावट के बीच खास तौर पर उल्लेखनीय है। पाँच जीवित गैंडा प्रजातियों में से — सफेद, काला, एक सींग वाला, जावन और सुमात्रन — केवल एक सींग वाला गैंडा ही लगातार बढ़ रहा है।
विश्व स्तर पर गैंडों की संख्या 13 अफ्रीकी देशों में 15,752 (2024) से घटकर 15,942 (2022) पर आ गई है। जावन गैंडे अब केवल 50 के आसपास रह गए हैं और सुमात्रन गैंडे गंभीर संकट में हैं, जिनकी संख्या महज 37-47 है। काले गैंडों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, जो 6,788 (2024) तक पहुँच गए हैं।
भारत की सफलता
भारत की गैंडों की आबादी में वृद्धि बेहद उल्लेखनीय है। 2007 में देश में केवल 2,175 गैंडे थे, जबकि आज यह संख्या 3,323 हो गई है।
असम में सबसे आगे
आज असम सबसे आगे है, जहाँ करीब 2,900 गैंडे हैं, जो काजीरंगा, मानस, ओरांग और पोबीटोरा अभयारण्यों में फैले हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल के जलदापाड़ा और गोरुमारा में 392 गैंडे और उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिज़र्व (DTR) में करीब 50 गैंडे हैं।
डॉ. अमित शर्मा (WWF-इंडिया के राष्ट्रीय राइनो संरक्षण प्रमुख) ने कहा, “यह बताता है कि सख्त शिकार-रोधी कानून, बेहतर आवास सुरक्षा, गैंडों का स्थानांतरण और समुदाय की भागीदारी से कितना कुछ हासिल किया जा सकता है।”
हालांकि उन्होंने चेतावनी भी दी कि गैंडों का भविष्य अभी भी असुरक्षित है, क्योंकि घासभूमि और आर्द्रभूमि लगातार आक्रामक प्रजातियों, घटते दलदली क्षेत्रों और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही है।
संरक्षण की नई रणनीति
भारत ने 2019 में अपनी पहली राष्ट्रीय राइनो संरक्षण रणनीति अपनाई थी। इसके तहत 2022 से 2024 के बीच 9 गैंडे शिकारियों के हाथों मारे गए, जो बताता है कि शिकार की चुनौती बनी हुई है।
UP में दुधवा अभयारण्य के निदेशक राजीव रंजन ने कहा कि वे इस साल के अंत तक बाड़ों से और गैंडों को जंगल में छोड़ने की योजना बना रहे हैं। साथ ही गैंडों की आनुवंशिक विविधता बढ़ाने के लिए नेपाल से गैंडे मंगवाने का भी प्रस्ताव है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत और नेपाल यदि मिलकर और गहन सहयोग करें तो गैंडों की आबादी और भी तेजी से बढ़ सकती है।
