भारत में 33 वर्षों में कैंसर के मामले 26% बढ़े; मौतें 21% बढ़ीं : लांसेट
नई दिल्ली : भारत में कैंसर के मामलों की दर 26% बढ़ी है। 1990 में प्रति 1 लाख आबादी पर 84.8 से बढ़कर 2023 में 107.2 प्रति 1 लाख आबादी पर पहुँच गई है। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है।
जर्नल द लांसेट में प्रकाशित इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि इस अवधि में कैंसर से होने वाली मौतें 21% बढ़ गई हैं, जबकि चिकित्सा क्षेत्र में प्रगति हुई है। इसके विपरीत, अमेरिका और चीन में पिछले 33 वर्षों में कैंसर की दर और मृत्यु दर दोनों में कमी आई है।
लांसेट अध्ययन बताता है कि 1990 से 2023 के बीच चीन और अमेरिका में कैंसर की दर क्रमशः 19% और 20% घटी है। वहीं कैंसर से मृत्यु दर में चीन में 43% और अमेरिका में 33% की कमी दर्ज की गई है।
एम्स दिल्ली के रेडिएशन-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक शंकर ने कहा कि चीन और अमेरिका में कैंसर की दर और मृत्यु दर में कमी का कारण मजबूत तंबाकू नियंत्रण, सार्वभौमिक टीकाकरण और संगठित जांच कार्यक्रम रहे हैं। भारत में, उन्होंने कहा, तंबाकू का सेवन, मोटापा और संक्रमण जैसे जोखिम कारकों की वजह से कैंसर की दर और मृत्यु दर बढ़ रही है। साथ ही शुरुआती जांच तक सीमित पहुँच भी एक बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा, “भारत को अपनी स्थिति बदलने के लिए तुरंत रोकथाम रणनीतियाँ लागू करनी होंगी, सबूत-आधारित कार्यक्रमों का विस्तार करना होगा और कैंसर देखभाल को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एजेंडे में शामिल करना होगा।”
अध्ययन की मुख्य लेखिका, वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) की डॉ. लिसा फोर्स ने कहा, “कैंसर अब भी दुनिया भर में बीमारियों के बोझ का एक बड़ा कारण है और हमारा अध्ययन दिखाता है कि आने वाले दशकों में यह काफी बढ़ेगा। खासकर उन देशों में जहां संसाधन सीमित हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि स्पष्ट कार्ययोजना के बावजूद कैंसर नियंत्रण नीतियाँ और उनका क्रियान्वयन वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राथमिकता नहीं बन पाए हैं और इस चुनौती से निपटने के लिए धन की भारी कमी है।
अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 2023 में कैंसर से हुई कुल 1 करोड़ 4 लाख मौतों में से 42% (43 लाख) मौतें 44 संभावित रूप से रोके जा सकने वाले जोखिम कारकों से जुड़ी थीं।
