बैंगन का पौधा जो उगाए टमाटर भी? नाम रखिए – ‘ब्रिमैटो’
The inter-specific grafting has emerged as a promising tool for increasing the tolerance to biotic and abiotic stresses, besides enhancing the productivity in vegetables. The dual or multiple grafting is a new technological option, wherein, two or more than two scions of the same family are grafted together to harvest more than one vegetable from a single plant.

-By -Jyoti Rawat
अगर बैंगन का भरता आपका मनपसंद खाना है और टमाटर की सब्जी आपके रोज़ के भोजन का हिस्सा है, तो ये खबर रसोई और बागवानी – दोनों को खुश कर देगी। सोचिए, एक ही पौधे से आप तोड़ रहे हैं बैंगन और टमाटर।
वाराणसी स्थित भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान (IIVR) के वैज्ञानिकों ने यह करिश्मा कर दिखाया है। उन्होंने ‘ब्रिमैटो’ नामक पौधा विकसित किया है, जो एक साथ बैंगन और टमाटर दोनों उगाता है। बैंगन की जड़ पर दोहरी कलम (ग्राफ़्टिंग) तकनीक से विकसित यह पौधा अब रसोई बागवानों, शहरी किसानों और यहां तक कि फूडीज़ के बीच भी लोकप्रिय हो चुका है।
क्या है यह तकनीक?
दो या अधिक पौधों (नवांकुरों) को जोड़कर एक ही पौधे से दो तरह की सब्ज़ियां उगाना ग्राफ़्टिंग तकनीक कहलाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के मुताबिक, IIVR ने इस पौधे को 2017 में तैयार किया था, लेकिन किसानों तक पहुंचाने और पंजीकरण से पहले कई साल तक इस पर अध्ययन चलता रहा।
संस्थान ने अब तक सोनभद्र, देवरिया और आज़मगढ़ के 180 से अधिक किसानों को ‘ब्रिमैटो’ उगाना सिखाया है।

ब्रिमैटो से पैदावार कितनी?
एक पौधे से लगभग 4.5 किलो टमाटर और 3.5 किलो बैंगन मिलते हैं। यह पारंपरिक पौधों से 15-20 दिन पहले फल देने लगता है। यही वजह है कि मांग लगातार बढ़ रही है।
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आनंद बहादुर कहते हैं – “मांग इतनी है कि पूरा नहीं कर पा रहे।” सिर्फ इस साल ही संस्थान ने 25,000 से अधिक पौधे बेचे हैं।
ब्रिमैटो की ज़रूरत क्यों पड़ी?
टमाटर पानी भराव (वॉटरलॉगिंग) में कमजोर होते हैं और भारी बारिश में जल्दी नष्ट हो जाते हैं। 2011 में IIVR ने 25 टमाटर किस्मों पर शोध किया और पाया कि सिर्फ 4 ही पानी झेल पाए।
वहीं, बैंगन पानी सहन कर लेता है और टमाटर की ही वनस्पति परिवार (सोलानेसी) से है। तभी वैज्ञानिकों ने बैंगन की जड़ पर टमाटर चढ़ाने का विचार किया। 2017 में उन्होंने देशी किस्म IC 111056 पर यह प्रयोग सफल कर लिया।
शहरी किसानों के लिए वरदान
छत, बालकनी और छोटे बगीचों में ‘ब्रिमैटो’ की खूब मांग है। ICAR का मानना है कि जब खेती योग्य भूमि घट रही है और ताज़ी सब्ज़ियों की मांग शहरों में बढ़ रही है, तब यह एक व्यावहारिक समाधान है। यह जगह और लागत बचाता है और दो सब्ज़ियां एक साथ देता है।
IIVR के मुताबिक, प्रति हेक्टेयर ब्रिमैटो से 35.7 टन बैंगन और 37.3 टन टमाटर की पैदावार होती है, जिससे 6.4 लाख रुपये तक शुद्ध आय हो सकती है।
पहले था ‘पोमैटो’
यह पहली बार नहीं है जब वैज्ञानिकों ने सब्ज़ियों का मेल कराया है। इससे पहले पोमैटो विकसित हुआ था – यानी टमाटर को आलू पर चढ़ाकर। इससे एक पौधे से लगभग 4 किलो टमाटर और 1 किलो आलू मिलते थे। लेकिन ‘ब्रिमैटो’ ज्यादा उपयोगी और टिकाऊ साबित हो रहा है और घरेलू बागवानों के बीच ज्यादा लोकप्रिय है।
चुनौतियां भी हैं
क्योंकि यह पौधा दो सब्ज़ियों का मेल है, इसलिए दोनों ओर से रोग और कीटों का असर भी हो सकता है। किसानों को अधिक देखभाल और अच्छी प्रबंधन तकनीक अपनानी पड़ती है। लेकिन फायदा बड़ा है, खासकर शहरी आबादी के लिए।
ICAR कहता है –
“शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बस्तियों का बढ़ना खेती योग्य ज़मीन को घटा रहा है। ऐसे में सीमित जगह में ‘ब्रिमैटो’ जैसी खेती बढ़ती सब्ज़ियों की मांग को पूरा करने का एक व्यावहारिक तरीका हो सकता है।”
