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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में मनुष्य की निरंतर उपस्थिति के 25 वर्ष पूरे हुए

The station was designed between 1984 and 1993. Elements of the station were in construction throughout the US, Canada, Japan, and Europe beginning in the late 1980s.

(२ नवंबर २०२५ को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में मनुष्य की निरंतर उपस्थिति के २५ वर्ष पूरे हुए)

-UTTARAKHAND HIMALAYA DESK-

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के बारे में अंतरिक्ष स्टेशन का डिज़ाइन १९८४ से १९९३ के बीच तैयार किया गया था। स्टेशन के विभिन्न हिस्सों का निर्माण १९८० के अंत से अमेरिका, कनाडा, जापान और यूरोप में शुरू हो गया था। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन कार्यक्रम दुनिया भर के अंतरिक्ष यात्री दल, कई लॉन्च व्हीकल, विश्व स्तर पर फैले लॉन्च और उड़ान संचालन, प्रशिक्षण, इंजीनियरिंग, विकास सुविधाएं, संचार नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक शोध समुदाय को एक साथ लाता है।

संक्षिप्त परिचय

१९८४ में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने स्टेशन को आधिकारिक मंजूरी दी और अमेरिकी कांग्रेस ने बजट पास किया। नासा के प्रशासक जेम्स बेग्स ने तुरंत अंतरराष्ट्रीय साझेदार ढूंढने शुरू कर दिए। कनाडा, जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के कई देश जल्दी ही इस कार्यक्रम में शामिल हो गए।

१९९३ में जब स्टेशन का डिज़ाइन फिर से बनाया जा रहा था, तब रूस को भी इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया। दो चरणों में आगे बढ़ने का समझौता हुआ: चरण-१ में अमेरिकी स्पेस शटल रूसी मीर स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्री और कॉस्मोनॉट ले जाते। अमेरिका दो रूसी मॉड्यूल को अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय प्रयोगों के लिए तैयार करने में मदद करता। चरण-२ में अमेरिका और रूस के नेतृत्व में सभी साझेदार देश नए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए हिस्से और चालक दल भेजते।

चरण-१ (नासा-मीर) १९९५-१९९८ तक चला। ११ स्पेस शटल उड़ानें मीर पर गईं, आखिरी १० ने डॉकिंग की। दो नए रूसी मॉड्यूल (स्पेक्ट्र और प्रिरोदा) लॉन्च हुए और उनमें दर्जनों अमेरिकी पेलोड तथा ७ अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री रहे।

चरण-२ में १९९८ से नए ISS के हिस्से लॉन्च होने शुरू हुए।

पांच मुख्य साझेदार एजेंसियां हैं:

  • कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA)
  • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA)
  • जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA)
  • नासा (NASA)
  • रोस्कोस्मोस (रूस)

हर एजेंसी अपने दिए हुए हार्डवेयर का प्रबंधन करती है। स्टेशन शुरू से ही एक-दूसरे पर निर्भर रहने के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह दुनिया की सभी अंतरिक्ष एजेंसियों के एकजुट और विविध लक्ष्यों का अनोखा मिश्रण है जो पृथ्वी पर सभी लोगों के जीवन को बेहतर बनाएगा।

सभी एजेंसियां इन बड़े लक्ष्यों में एक हैं:

  • स्टेशन को शिक्षा का मंच बनाकर आज के बच्चों को गणित, विज्ञान, इंजीनियरिंग और तकनीक (STEM) में करियर के लिए प्रेरित करना।
  • मानव शरीर विज्ञान, विकिरण, सामग्री विज्ञान, जीव विज्ञान, द्रव भौतिकी और तकनीक में मिले ज्ञान को भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए इस्तेमाल करना।
  • अंतरिक्ष में हुए शोध से मिले ज्ञान को पृथ्वी पर स्वास्थ्य, सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ के लिए लौटाना।

यह कार्यक्रम तकनीकी जितना ही मानवीय उपलब्धि भी है। अलग-अलग संस्कृति और राजनीति वाले देशों ने मिलकर इस जटिल कक्षीय चौकी की योजना, समन्वय और संचालन किया।

मुख्य मिशन कंट्रोल सेंटर अमेरिका और रूस में हैं, लेकिन कनाडा, जापान और यूरोप में भी सहायक कंट्रोल सेंटर हैं। ISS की उम्र कई बार बढ़ाई जा चुकी है और यह कम-से-कम २०३० तक काम करता रहेगा। पुराने हिस्सों को नए मॉड्यूल से बदला जाता रहता है।

                                               Drawing of the International Space Station with all of the parts labeled.

क्या आप जानते हैं?

ISS का निर्माण १९९८ में शुरू हुआ और २०२१ तक भी नए मॉड्यूल जोड़े गए।

यह सब कैसे शुरू हुआ सबसे पहले जोहानेस केप्लर (१६०० के शुरुआत में) ने अंतरिक्ष में रहने और यात्रा करने के बारे में लिखा। १८६० में एडवर्ड एवरेट हेल ने “ब्रिक मून” कहानी लिखी जो पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला पहला काल्पनिक अंतरिक्ष स्टेशन था। १९२८ में हरमन नूर्डुंग ने घूमते हुए पहिए जैसा स्टेशन (“वोनराड”) डिज़ाइन किया ताकि कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण बने। १९५० के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ ने अपने-अपने स्टेशन की योजना बनानी शुरू की।

निर्माण और आकार दुनिया के अलग-अलग देशों में बने हिस्सों को अंतरिक्ष में जोड़ा गया। यह लेगो की तरह है – रोबोटिक आर्म और स्पेससूट में अंतरिक्ष यात्री तार और पाइप जोड़ते हैं।

ISS पृथ्वी की कक्षा में अब तक का सबसे बड़ा मानव-निर्मित वस्तु है:

  • दबाव वाली जगह: लगभग ९०० घन मीटर
  • वजन: ४ लाख किलो से ज्यादा
  • सौर पैनल का क्षेत्रफल: २,२४७ वर्ग मीटर
  • सालाना बिजली उत्पादन: ७,३५,००० किलोवाट-घंटा
  • लंबाई (पंखों सहित): १०९ मीटर
  • ऊंचाई: ३७०-४६० किमी
  • झुकाव: ५१.६ डिग्री (पृथ्वी के ९०% बसे इलाकों के ऊपर से गुजरता है)
  • चालक दल: आम तौर पर ७, कभी-कभी १३ तक

इसे बनाने में ३६ स्पेस शटल उड़ानें और ६ रूसी प्रोटॉन/सोयुज़ लॉन्च चाहिए । अब रसद और चालक दल की आवाजाही प्रोग्रेस, सोयुज़, ड्रैगन, साइग्नस, स्टारलाइनर आदि से होती है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन मानवता की सबसे बड़ी सहयोगी परियोजनाओं में से एक है और यह आने वाले कई वर्षों तक विज्ञान और अन्वेषण का केंद्र बना रहेगा।

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