Front Pageराष्ट्रीय

जनगणना 2027 कराने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी : दो चरणों में होगी जनगणना

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर ( PIB)।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11,718.24 करोड़ रुपये की लागत से देश में जनगणना 2027 कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह दुनिया की सबसे बड़ी प्रशासनिक और सांख्यिकीय कवायद मानी जाती है और इस बार इसे पूरी तरह डिजिटल तरीके से आयोजित किया जाएगा।

डिजिटल रूप में होगी जनगणना
सरकार ने पहली बार जनगणना को पूरी तरह डिजिटल बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत डेटा संग्रह मोबाइल ऐप के माध्यम से किया जाएगा। एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म के लिए ऐप तैयार है। पूरी प्रक्रिया की रियल टाइम निगरानी के लिए सेंसस मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम नामक विशेष पोर्टल विकसित किया गया है। अधिकारियों के काम को आसान और अधिक सटीक बनाने के लिए हाउसलिस्टिंग ब्लॉक क्रिएटर वेब मैप एप्लीकेशन का भी उपयोग होगा। जनता को स्वयं गिनती करने का विकल्प भी दिया जाएगा।

दो चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया
जनगणना दो चरणों में आयोजित होगी। पहले चरण में अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच हाउसलिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना की जाएगी। दूसरे चरण यानी मुख्य जनसंख्या गणना फरवरी 2027 में होगी। लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के बर्फ प्रभावित क्षेत्र तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के गैर-समकालिक इलाकों में यह प्रक्रिया सितंबर 2026 में ही पूरी कर ली जाएगी। इस अभियान में लगभग 30 लाख प्रक्षेत्र कर्मचारियों को लगाया जाएगा, जिनमें शिक्षक, पर्यवेक्षक और अन्य अधिकारी शामिल होंगे।

जाति गणना भी शामिल
सरकार ने आगामी जनगणना में जाति-आधारित आंकड़े भी शामिल करने का फैसला किया है। यह डेटा भी पहले की तरह कागजी नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एकत्र किया जाएगा। देश की सामाजिक विविधता को देखते हुए यह कदम नीति निर्माण में उपयोगी माना जा रहा है।

बेहतर डेटा और अधिक पारदर्शिता
डिजिटल तरीकों के इस्तेमाल से डेटा की गुणवत्ता बढ़ने की उम्मीद है। सरकार का कहना है कि जनगणना के परिणाम पहले से अधिक तेजी से उपलब्ध कराए जाएंगे और गांव-वार्ड स्तर तक विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी। एक क्लिक पर आंकड़े प्राप्त होने की सुविधा से नीति निर्माण में काफी मदद मिलेगी।

रोजगार और स्थानीय प्रशिक्षण के अवसर
जनगणना के संचालन के लिए करीब 18,600 तकनीकी कर्मचारियों की आवश्यकता होगी, जो लगभग 550 दिनों तक काम करेंगे। इससे करीब 1.02 करोड़ मानव-दिवस का रोजगार सृजित होने का अनुमान है। डिजिटल डेटा प्रबंधन के चलते स्थानीय स्तर पर तकनीकी क्षमता भी बढ़ेगी।

भारत की यह 16वीं और स्वतंत्रता के बाद 8वीं जनगणना होगी। जनगणना देश की सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय तस्वीर प्रस्तुत करने वाला सबसे महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है, जिसके आधार पर कई सरकारी नीतियां और योजनाएं तैयार होती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!