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भारत ने झींगा क्षेत्र में बढ़ाया दम: अमेरिका को निर्यात पिछले 5 साल से मजबूत, 2025 में भी रफ्तार बरकरार!

नई दिल्ली, 12 दिसंबर 2025। भारत झींगा मछली (श्रिंप) के वैश्विक बाजार में लगातार अपनी मजबूत स्थिति बनाए हुए है। पिछले पाँच वर्षों में अमेरिका को होने वाला झींगा निर्यात दोनों ही पैमानों — मात्रा और मूल्य — में शानदार रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों (अप्रैल–अक्टूबर 2025) में कुल सीफूड निर्यात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13.93% की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। निर्यात का मूल्य 4207.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 4793.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

पिछले 5 साल में अमेरिका को झींगा निर्यात (आंकड़े)

वर्ष मात्रा (मीट्रिक टन में) मूल्य (मिलियन अमेरिकी डॉलर में)
2020-21 2,72,041 2343.90
2021-22 3,42,572 3146.71
2022-23 2,75,662 2439.87
2023-24 2,97,571 2342.58
2024-25 3,11,948 2512.71

सरकार की मेगा पहलें: किसानों से निर्यातकों तक हर कड़ी को मजबूती

  1. बाजार विविधीकरण एमपीईडीए (MPEDA) ने व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भेजे, खरीदार-विक्रेता बैठकें आयोजित कीं, एशिया-यूरोप के बड़े सीफूड मेलों में भाग लिया। 2025 में चेन्नई और दिल्ली में रिवर्स बायर-सेलर मीट में 100 से ज्यादा विदेशी खरीदार भारतीय निर्यातकों से मिले।
  2. नई तकनीक और गुणवत्ता
    • शाफारी (Shaphari) प्रमाणन योजना: एंटीबायोटिक-मुक्त और रोग-मुक्त झींगा उत्पादन। अभी तक 16 हैचरी और 344 हेक्टेयर फार्म प्रमाणित।
    • मिनी लैब योजना: 8 यूनिट्स को ₹24 लाख की सहायता।
    • वैल्यू एडिशन योजना: 83 यूनिट्स को ₹101 करोड़ से ज्यादा की मदद।
    • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY): ₹20,050 करोड़ की योजना के तहत 34,788 इंफ्रास्ट्रक्चर यूनिट (कोल्ड स्टोरेज, मार्केट, रेफ्रिजरेटेड वाहन आदि) बनाए गए।
  3. किसानों के लिए खास कदम
    • टोल-फ्री एक्वा फार्मर कॉल सेंटर (विजयवाड़ा)
    • मोबाइल पैथोलॉजी लैब और एक्वेटिक क्वारंटाइन सुविधा (चेन्नई)
    • नई बायो-सिक्योर्ड सर्कुलर टैंक योजना: सामान्य किसानों को 50% (अधिकतम ₹30 लाख) और SC/ST/NER किसानों को 75% (अधिकतम ₹45 लाख) सब्सिडी
    • 56वीं जीएसटी काउंसिल (3 सितंबर 2025) ने 20 से ज्यादा एक्वाकल्चर प्रोडक्ट्स पर जीएसटी 12-18% से घटाकर सिर्फ 5% किया — इससे इनपुट लागत घटी, किसानों-निर्यातकों को बड़ी राहत।

भारत अब न सिर्फ दुनिया का सबसे बड़ा झींगा निर्यातक बना हुआ है, बल्कि गुणवत्ता, जैव-सुरक्षा और ट्रेसेबिलिटी में भी वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है। आने वाले वर्षों में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, ब्रिटेन और रूस जैसे नए बाजारों में भी भारतीय झींगा की धूम मचने वाली है!

बीमारी मुक्त उत्पादन बढ़ाने और उपज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय मदद योजनाएं

 

योजना का नाम योजना का उद्देश्यजानकारी वित्तीय मदद का तरीका
खेत परिसर में बीज उगाने के लिए नर्सरी की स्थापना। झींगा पालन के लिए बायो-सुरक्षित नर्सरी माहौल में लार्वा के बाद को पालना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह अच्छी गुणवत्ता के बीज सुनिश्चित करता है, बीमारियों के फैलने को कम करता है, फार्म की उत्पादकता बेहतर करता है, कल्चर पीरियड कम करता है, और श्रम व बार-बार होने वाले खर्चों को कम करता है। सामान्य श्रेणी के किसानों के लिए, खर्च की गई मान्य लागत का 50%, अधिकतम 6,00,000/- रुपये की वित्तीय मदद के अंतर्गत, जो भी कम हो।

एससी/ एसटी लाभार्थियों के लिए प्रस्तावित सहायता खर्च की गई मान्य लागत का 75%, अधिकतम 9,00,000/- रुपये की वित्तीय मदद के अंतर्गत, जो भी कम हो।

बेहतर खाद्य सुरक्षा के लिए खेतों में झींगा मछली संभालने के लिए सुविधाएं पूरी करना। कटाई से लेकर स्टोरेज तक हैंडलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने और खेतों में बायो-टॉयलेट उपलब्ध कराने से गुणवत्ता सुधर सकती है और दूषित होने का खतरा कम हो सकता है। ये तरीके बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करते हैं, जिससे रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं से दूषित होने की संभावना कम होती है और झींगा मछली की गुणवत्ता बनी रहती है। किसान के एक्वा फार्म के प्रति हेक्टेयर वॉटर स्प्रेड एरिया पर खर्च की गई कुल लागत का 50%, अधिकतम 10,00,000/- रुपये की वित्तीय मदद के अंतर्गत, जो भी कम हो। एससी/ एसटी लाभार्थी को प्रस्तावित सहायता खर्च की गई कुल लागत का 75% होगी, जो किसान के एक्वा फार्म के प्रति हेक्टेयर वाटर स्प्रेड एरिया पर अधिकतम 15,00,000/- रुपये की वित्तीय मदद के अंतर्गत, जो भी कम हो।

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