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कैंसर इलाज में क्रांतिकारी कदम: इम्यून सेल बने ‘लिविंग ड्रग’, ल्यूकेमिया के मरीजों में दिखा चमत्कारी असर

 

कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि सामने आई है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने स्वस्थ लोगों की प्रतिरक्षा कोशिकाओं (इम्यून सेल्स) को इस तरह संशोधित किया है कि वे शरीर के भीतर रहकर कैंसर से लड़ने वाली ‘जीवित दवा’ (Living Drug) का काम करें। यह नई तकनीक विशेष रूप से एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL) जैसे तेज़ी से बढ़ने वाले और जिद्दी रक्त कैंसर के इलाज में बेहद प्रभावी साबित हुई है।
यह शोध प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है, जिसमें उन मरीजों को शामिल किया गया था जिन पर पारंपरिक इलाज बेअसर हो चुका था।

क्या है यह नई तकनीक?
अब तक CAR-T थेरेपी में मरीज की अपनी इम्यून कोशिकाओं को बाहर निकालकर उनमें बदलाव किया जाता था और फिर शरीर में वापस डाला जाता था। लेकिन यह प्रक्रिया समय लेने वाली होती थी और गंभीर रूप से बीमार मरीजों में कई बार असफल भी हो जाती थी।
नई तकनीक में वैज्ञानिकों ने स्वस्थ दाताओं (डोनर) से ली गई T-सेल्स को अत्याधुनिक जीन एडिटिंग (Base Editing) तकनीक से इस तरह बदला कि वे किसी भी मरीज के शरीर में बिना अस्वीकृति (rejection) के काम कर सकें। इन्हें “यूनिवर्सल” सेल्स कहा जा रहा है।
ये संशोधित कोशिकाएँ शरीर में जाकर सीधे कैंसर कोशिकाओं को पहचानती हैं और नष्ट करती हैं, जबकि स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुँचातीं।
अध्ययन के नतीजे: 11 में से 11 मरीजों में सफलता
इस अध्ययन में एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया से पीड़ित 11 मरीज शामिल थे। नतीजे असाधारण रहे—

  • सभी 11 मरीज 28 दिनों के भीतर रिमिशन में चले गए
  • 9 मरीजों में डीप रिमिशन पाया गया, यानी अत्यंत संवेदनशील जांचों में भी कैंसर का कोई निशान नहीं मिला
  • इन मरीजों को आगे स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए तैयार किया जा सका, जो स्थायी इलाज की दिशा में बड़ा कदम माना जाता है
  • डॉक्टरों के अनुसार, डोनर सेल्स से बनी यह थेरेपी तेज़, सुरक्षित और अपेक्षाकृत सस्ती भी हो सकती है।

क्यों है यह खोज इतनी महत्वपूर्ण?
एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया हर साल दुनिया भर में करीब 65,000 लोगों को प्रभावित करता है। यह बच्चों में पाए जाने वाले कैंसरों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है। बच्चों में इसकी जीवित रहने की दर 90 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन वयस्कों में यह घटकर करीब 50 प्रतिशत रह जाती है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चों में होने वाले कैंसर मोटापा, प्रदूषण या जीवनशैली से नहीं जुड़े होते, इसलिए इनके इलाज के लिए ऐसी जैविक तकनीकों की अत्यंत आवश्यकता है।

भविष्य की राह और सावधानियाँ
यह नई थेरेपी—जिसे BE-CAR7 कहा जा रहा है—भविष्य में बड़ी संख्या में मरीजों के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट को संभव बना सकती है। हालांकि विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि लंबे समय में संक्रमण, बीमारी की वापसी या अन्य जटिलताओं की आशंका बनी रह सकती है।
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने CAR-T थेरेपी से जुड़ी दवाओं पर कड़ी निगरानी और चेतावनी लेबल अनिवार्य किए हैं, क्योंकि कुछ मामलों में द्वितीयक कैंसर का जोखिम भी सामने आया है। फिर भी, डॉक्टरों का मानना है कि वर्तमान में इसके फायदे जोखिमों से कहीं अधिक हैं।
कैंसर इलाज का नया युग?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह खोज कैंसर इलाज को “ऑफ-द-शेल्फ” यानी आसानी से उपलब्ध और तेजी से शुरू होने वाली थेरेपी की दिशा में ले जा सकती है। यदि आगे के बड़े अध्ययन भी ऐसे ही सकारात्मक परिणाम दिखाते हैं, तो आने वाले वर्षों में इम्यून सेल आधारित ‘लिविंग ड्रग्स’ कैंसर के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार बन सकते हैं।

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