साहिबज़ादों के बलिदान की कथा भारत के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय

ज्योतिर्मठ, 27 दिसंबर। ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोशीमठ के एडुसैट सभागार में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह के चारों साहिबज़ादों—बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह—की अमर स्मृति को समर्पित रहा।
महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर प्रीति कुमारी ने कहा कि धर्म और देश की रक्षा के लिए जिन अदम्य साहस और स्वाभिमान के साथ साहिबज़ादों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, वह भारतीय इतिहास के सबसे स्वर्णिम अध्यायों में से एक है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को इन वीर बालकों को अपने आदर्श के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
कार्यक्रम में डॉ. चरणसिंह केदारखंडी ने वीरता, त्याग और बलिदान की गौरवशाली सिख परंपरा का उल्लेख करते हुए साहिबज़ादों के साथ-साथ बाबा मोती राम मेहरा और दीवान टोडरमल के योगदान का भी भावपूर्ण स्मरण किया। उन्होंने कहा कि महान, विकसित और अजेय भारत का निर्माण तभी संभव है जब देश का युवा अपनी संस्कृति और ज्ञान-परंपरा से जुड़ा रहे।
विचार गोष्ठी का संचालन डॉ. राजेंद्र सिंह राणा ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक और कर्मचारी उपस्थित रहे और सभी ने वीर साहिबज़ादों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
