रिटेल निवेशक बाज़ार से क्यों भागे?

-Milind Khandekar-
साल के आख़िर में छोटी सी खबर पर नज़र पड़ी कि इस साल रिटेल यानी छोटे निवेशकों ने शेयर बाज़ार के सेकेंडरी सेग्मेंट में बिकवाली कर डाली. अब तक शुद्ध बिक्री 8 हज़ार करोड़ रुपये की हुई है. 2020 के बाद से वो लगातार ख़रीदारी कर रहे थे. विदेशी निवेशकों ने पहले ही मुँह मोड़ रखा है. बाज़ार सिर्फ म्यूचुअल फंड SIP के भरोसे चल रहा है. हिसाब किताब में चर्चा करेंगे कि छोटे निवेशकों का मोहभंग क्यों हो रहा है?
2020 में कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान रिटेल निवेशकों ने शेयर बाज़ार में डायरेक्ट पैसे लगाने शुरू किए. Zerodha और Groww जैसे एप ने इन्वेस्टमेंट आसान कर दिया था.पिछले पाँच साल में पाँच लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा निवेश छोटे निवेशकों ने किया. इस साल यह सिलसिला टूट गया. इसका कारण रहा शेयर बाज़ार में गिरावट. ज़्यादातर निवेशक गिरावट को झेल नहीं पाए. लार्ज कैप और मिड कैप में रिटर्न सिंगल डिजिट में रहा जबकि स्मॉलकैप में तो निगेटिव हो गया.
बाज़ार में गिरावट के कारणों की चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं. इसके तीन कारण है
- कंपनियों के मुनाफ़े में सुस्ती
- शेयरों का महंगा होना
- अमेरिकी ट्रेड डील फँसना
छोटे निवेशकों ने बाज़ार में बने रहने के बजाय मुनाफा कमाकर निकलना बेहतर समझा. शेयर बाज़ार में तीन बड़े खिलाड़ी हैं. पहला विदेशी निवेशक( FII), दूसरे म्यूचुअल फंड जैसे डोमेस्टिक इनवेस्टर्स (DII) और रिटेल निवेशक. इसमें से सिर्फ DII ख़रीददारी कर रहे है क्योंकि SIP के ज़रिए उनके पास पैसे आ रहे है. इस साल तीन लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा आ चुके है. यही पैसा बाज़ार को थामे हुए है. यह पैसा कम हो जाएगा तो बाज़ार मुश्किल में पड़ जाएगा.
अगले साल ब्रोकरेज हाउस Nifty के 28 हज़ार से 29 हज़ार की रेंज में जाने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. ऐसा होने पर 10-12% रिटर्न मिलने की संभावना है. रिटर्न स्मॉल कैप के मुक़ाबले लार्ज कैप में ज़्यादा होने की संभावना है. यही वजह है कि निवेशक शेयर बाज़ार के बजाय सोने चाँदी पर दाँव लगा रहे हैं.पिछले साल सोने ने 78% जबकि चाँदी ने 144% का ज़बरदस्त रिटर्न दिया है. 2026 में सोने चाँदी के दाम ऊपर जाने का अनुमान तो है लेकिन रफ़्तार धीमी हो सकती है. रिटर्न 10-20% की रेंज में रहने की उम्मीद है.
