शिक्षा/साहित्य

टीएमयू के स्लोगन में अंजली और गीता तो भाषण में ईशिका अव्वल

मुरादाबाद, 4 मार्च। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से ‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस‘ पर स्लोगन और भाषण प्रतियोगिताएं हुईं। स्लोगन प्रतियोगिता में छात्रा अंजली जैन और गीता रानी ने प्रथम, जबकि नूरशवा और रूपा रानी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। छात्रा कविता, मीनाक्षी और सिमरन तीसरे स्थान पर रहीं।

भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान ईशिका ढाका, द्वितीय स्थान राशि ठाकुर और तृतीय स्थान साफिया नूर और मोनिका ने प्राप्त किया। निर्णायक की भूमिका में डीन स्टुडेंट्स वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह, कॉलेज ऑफ फाइन आर्टस के प्राचार्य प्रो. रविन्द्र देव के अलावा प्रो. अंकुर देव भी शामिल रहे। इससे पूर्व डीन स्टुडेंट्स वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि, कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट के प्राचार्य प्रो. रविन्द्र देव ने बतौर विशिष्ट अतिथि, कॉलेज ऑफ एजुकेशन की प्राचार्या प्रो. रश्मि मेहरोत्रा आदि ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रवज्जलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. एमपी सिंह ने कहा, हमें अपने जीवन में शब्दों का चुनाव सोच समझकर करना चाहिए। शब्दों के जरिए ही किसी व्यक्ति को अपना बना सकते हैं। मानव का सर्वांगीण विकास अन्य जीवों की तुलना में अधिक तीव्र गति से हुआ, जिसका एक मुख्य कारण भाषाई ज्ञान है।

प्रो. सिंह बोले, हमारी भाषा लोगों के ह्नदय पर अमिट प्रभाव छोड़ती है। उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 का जिक्र करते हुए कहा, शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रश्मि मेहरोत्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, मातृभाषा मनुष्य के विकास की आधारशिला होती है। मातृभाषा में ही बालक इस संसार में अपनी प्रथम भाषिक अभिव्यक्ति देता है। भाषा विचारों को जन्म देती है। जिस व्यक्ति के पास जितनी सशक्त मातृभाषा होगी, उसकी विचार शक्ति उतनी ही सुदृढ़ होगी। उन्होंने कहा, मातृभाषा के जरिए व्यक्ति राष्ट्र की समस्याओं से अवगत होकर राष्ट्र की उन्नति में भागीदार बन सकता है। मातृभाषा के माध्यम से प्राप्त ज्ञान का प्रभाव स्थायी होता है। कार्यक्रम में डॉ. देवेन्द्र कुमार यादव, डॉ. मोहिता वर्मा, असिस्टेंट रजिस्ट्रार श्री दीपक मलिक, डॉ. नाहीद बी., श्री गौतम कुमार, डॉ. सुमित गंगवार, डॉ. पावस कुमार मण्डल आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। संचालन छात्रा इशिका ढाका और सना कौसर ने किया।

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