Tuesday, May 7, 2024
Latest:
राष्ट्रीयसुरक्षा

क्षा मंत्री ने बीआरओ द्वारा निर्मित 24 पुलों तथा तीन सड़कों को राष्ट्र को समर्पित किया : लद्दाख एवं हिमाचल प्रदेश में पांच-पांच; उत्तराखंड में तीन तथा सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश में एक-एक पुल बनाये गए हैं

नयी दिल्ली, 28  दिसंबर (उ हि ). रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने चार राज्यों तथा दो केंद्र शासित प्रदेशों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित 24 पुलों और तीन सड़कों को  को नई दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्र को समर्पित किया। इन 24 पुलों में से नौ जम्मू और कश्मीर में हैं; लद्दाख एवं हिमाचल प्रदेश में पांच-पांच; उत्तराखंड में तीन तथा सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश में एक-एक पुल बनाये गए हैं। तीन सड़कों में से दो लद्दाख में और एक पश्चिम बंगाल में तैयार की गई है। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण आज भारत के पहले स्वदेशी श्रेणी 70 140-फीट डबल-लेन वाले मॉड्यूलर ब्रिज का उद्घाटन था, जिसे सिक्किम के फ्लैग हिल डोकला और चिसुमले-डेमचोक रोड पर 11,000 फीट की ऊंचाई पर और लद्दाख में 19,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर उमलिंग ला दर्रे पर बनाया गया है। यह दुनिया की सबसे ऊंची मोटर चलाने योग्य सड़क होने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी रखता है।

श्री राजनाथ सिंह द्वारा ई उद्घाटन की गई इन परियोजनाओं को देश की उत्तरी तथा पूर्वी सीमाओं के साथ महत्वपूर्ण सड़क अक्ष और कोनों पर पूरा किया गया है। इस अवसर पर संबोधित करते हुए रक्षामंत्री ने इन परियोजनाओं को सीमावर्ती इलाकों की प्रगति के लिए बीआरओ की प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब बताया और विश्वास व्यक्त किया कि ये निर्माण कार्य नए भारत के विकास में एक लंबा रास्ता तय करेंगे। उन्होंने कहा कि उमलिंग-ला दर्रे पर बनी हुई सड़क सशस्त्र बलों की तेज आवाजाही, पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करेगी। श्री सिंह ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें सामरिक जरूरतों को पूरा करती हैं और देश के विकास में दूरदराज के क्षेत्रों की समान भागीदारी सुनिश्चित करती हैं। उन्होंने शून्य से नीचे के तापमान और ऊंचाई की चुनौतियों के बावजूद इस उपलब्धि को हासिल करने में अपनी दृढ़ता के लिए बीआरओ की सराहना की।

रक्षा मंत्री ने स्वदेशी डबल-लेन मॉड्यूलर ब्रिज को ‘आत्मनिर्भरता’ का एक शानदार उदाहरण बताया और इस तथ्य की सराहना की कि इसे बेहद कम लागत पर तैयार किया गया है तथा जरूरत पड़ने पर इसे आसानी से तोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित ‘मेक इन इंडिया’ का उद्देश्य प्राप्त करने के मार्ग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। श्री सिंह ने कहा कि यह सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से संपर्क प्रदान करने के सरकार के संकल्प का प्रतीक भी है। यह पुल ऐसे क्षेत्रों में और अधिक पुलों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा।

ई-उद्घाटन ने बीआरओ द्वारा निष्पादित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की संख्या को एक ही कामकाजी सत्र में रिकॉर्ड 102 तक पहुंचा दिया है, यह उपलब्धि भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में हासिल की गई है। बीआरओ ने रिकॉर्ड समय सीमा में निर्माण कार्य पूरा कर लिया है, जिनमें से अधिकांश परियोजनाओं में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले इसी वर्ष जून महीने में श्री राजनाथ सिंह ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में 12 सड़कों और 63 पुलों – कुल मिलाकर 75 परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया था।

श्री राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों, राजमार्गों, सुरंगों एवं पुलों के निर्माण को एक मजबूत तथा समृद्ध राष्ट्र के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जो देश अपने मार्ग स्वयं विकसित करता है, वह दुनिया को रास्ता दिखाता है। उन्होंने दूर-दराज के क्षेत्रों के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार करके और देश को अपनी सुरक्षा, संचार तथा व्यापार उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करके राष्ट्र निर्माण में बीआरओ के योगदान की सराहना की। श्री सिंह ने अटल सुरंग, कैलाश मानसरोवर सड़क, हाल ही में 54 पुलों का उद्घाटन और ‘सड़क सुरक्षा’ तथा ‘सड़क, पुल, सुरंग, हवाई क्षेत्र’ पर उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना सहित बीआरओ की हालिया उपलब्धियों का विशेष तौर पर उल्लेख किया।

राष्ट्र के समग्र विकास के सरकार के संकल्प को दोहराते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है,जिस तरह से देश के आंतरिक भागों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। श्री सिंह ने बताया कि हमने हाल ही में उत्तरी क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंदी का सामना धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ किया है, जो समुचित ढांचागत विकास के बिना संभव नहीं हो सकता था। बीआरओ पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है। आज के अनिश्चित समय में सीमावर्ती क्षेत्रों में मजबूत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है क्योंकि यह रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत तथा बेहतर बनाता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे हम अपनी सीमा के बुनियादी ढांचे को सशक्त करने की दिशा में आगे बढ़ते हैं, वैसे ही हमें अपनी निगरानी प्रणाली को भी विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ, झड़प, अवैध व्यापार तथा तस्करी आदि की समस्या अक्सर बनी रहती है और इसे देखते हुए सरकार ने कुछ समय पहले व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली शुरू की थी।

श्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि निर्माण और विकास की इस त्वरित गति के साथ, बीआरओ आने वाले समय में ऐसी कई अन्य परियोजनाओं को पूरा करेगा तथा ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों को विकसित करने और बीआरओ को आवश्यक बुनियादी ढांचे से लैस करने के दृष्टिकोण के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली को भी याद किया। श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने पिछले छह-सात वर्षों में बीआरओ को मजबूत करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, जिसमें उनका बजट तीन से चार गुना बढ़ाना प्रमुख रूप से शामिल है। रक्षा मंत्री ने बीआरओ कर्मियों के कल्याण के उद्देश्य से की गई पहल के लिए सीमा सड़क संगठन की सराहना की। इनमें उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाले आवास, जैकेट और राशन प्रदान करने के लिए का एक विशेष अभियान शामिल है; इसके अलावा निर्माण श्रमिकों के वेतन में वृद्धि; बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं तथा कर्मियों के लिए टीकाकरण भी सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह देश के प्रति बीआरओ की जिम्मेदारी और बीआरओ के प्रति सरकार के सहयोग को दर्शाता है।

रक्षा मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने और सशस्त्र बलों के कर्मियों की सुविधा के लिए ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के हिस्से के रूप में 75 स्थानों पर ‘बीआरओ कैफे’ स्थापित करने की घोषणा की। ये कैफे स्थानीय परंपराओं एवं भोजन, पार्किंग, बैठने की जगह, स्मारिका दुकानों, चिकित्सा निरीक्षण कक्ष तथा फोटो गैलरी प्रदर्शन जैसी सुविधाओं को उपलब्ध कराएंगे। इस पहल के लिए बीआरओ की प्रशंसा करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह पर्यटन और क्षेत्रीय संस्कृति को बढ़ावा देगा तथा स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करके उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करेगा।

इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह; थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे; सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री श्री जॉन बारला, जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर.के. माथुर, सिक्किम सरकार में सड़क एवं सेतु मंत्री श्री समदुप लेपचा, सांसद श्री तीरथ सिंह रावत, चिनार कोर के जनरल-ऑफिसर-कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे और बीआरओ के जवानों ने इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से भाग लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!