Front Page

उत्तरकाशी के इस मंदिर का है बहुत ही खास महत्व, ये मुराद लेकर पहुंचते हैं लोग

ऐसी ही एक खासियत है उत्तरकाशी के सिद्धपीठ कुटेटी देवी के मंदिर की। सिद्धपीठ कुटेटी देवी की पूजा अर्चना संतान प्राप्ति के मनोरथ के साथ ही सुख समृद्धि देने वाली मानी जाती है। खास तौर पर चैत्र नवरात्रों में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। ऐसी मान्यता है कि संतानहीन सच्चे मन से सिद्धपीठ कुटेटी मंदिर में संतान की कामना करे तो मां उनकी इच्छा जरूर पूरी करती है। कुटेटी देवी समृद्धि और परिवार में सुख शांति प्रदान करने वाली देवी है इसीलिए इन्हें लक्ष्मी स्वरूप भी माना जाता है।

क्या है धार्मिक मान्यता?
सिद्धपीठ कुटेटी देवी की पूजा अर्चना संतान प्राप्ति के मनोरथ के साथ ही सुख समृद्धि देने वाली मानी जाती है। खास तौर पर हर नवरात्रों में यहां अष्टमी व नवमी को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती हैं। कहा जाता है कि एक बार राजस्थान के कोटा के महाराज गंगोत्री धाम की यात्रा पर आए। उन्होंने उत्तरकाशी में ही विश्वनाथ मंदिर में रुककर कुछ दिन तक पूजा अर्चना की। उसके बाद उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह यहीं एक स्थानीय युवक से कर दिया। परिवार से दूर रहने के कारण उनकी दुखी पुत्री को एक बार उनकी कुलदेवी कुटेटी देवी ने स्वप्न में दर्शन दिए और इंद्रावती नदी के समीप ऊंचे टीले पर स्वयं की प्रतिष्ठा करने की बात कही। वह अपने पति के साथ स्वप्न में बताए गए स्थान पर पहुंची तो वहां देवी के प्रतीक स्वरूप तीन पत्थर मिले। उसी जगह पर कुटेटी देवी मंदिर बनाया गया है।

कैसे पहुंचे मंदिर?
अगर आप देहरादून के रास्ते आना चाहते हैं तो राजधानी से उत्तरकाशी करीब 160 किमी. दूर है। अगर आप ऋषिकेश से आना चाहते हैं तो 225 किमी. की दूरी तय कर उत्तरकाशी पहुंचा जा सकता हैं। शहर से कुटेटी देवी मंदिर लंबगांव-केदारनाथ रोड पर तीन किलोमीटर की दूरी पर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!