ब्लॉगविज्ञान प्रोद्योगिकी

तारों का टूटना और बिखरना ब्रह्मांड के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है

The breaking and scattering of stars is a crucial part of the cosmic life cycle, symbolizing both the end and the beginning of celestial entities. In the vastness of the universe, stars are born, evolve, and eventually meet their end, often in spectacular explosions known as supernovae. When a star dies, its core may collapse, leading to the formation of black holes, neutron stars, or even the dispersal of its material across space. This process not only marks the end of a star’s existence but also contributes to the creation of new elements, enriching the universe and providing the building blocks for future generations of stars and planets. Thus, the breaking and scattering of stars is not just a destructive event but an essential component in the ongoing cycle of cosmic creation and transformation.

–by aditya singh–

तारे अंतरिक्ष में विशाल और अत्यधिक ऊर्जा वाले पिंड होते हैं, जो गैस और धूल के संकेंद्रण से बनते हैं। उनके टूटने और बिखरने की प्रक्रिया को खगोल विज्ञान में “स्टेलर डेथ” (Stellar Death) कहा जाता है। यह प्रक्रिया तारे के द्रव्यमान, उसके जीवन चक्र और उसकी संरचना पर निर्भर करती है।आसमान में टूटते हुए तारे या उल्का, अंतरिक्ष से आने वाले चट्टानों के टुकड़ों से बनते हैं । जब ये टुकड़े पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो घर्षण की वजह से जलने लगते हैं और चमक उठते हैं । इसी वजह से इन्हें टूटते हुए तारे या शूटिंग स्टार कहते हैं । वहीं, गिरते हुए तारे, उल्कापिंड होते हैं, जो कुछ बड़ी चट्टानें होती हैं और ये धरती की सतह तक पहुंच जाती हैं । टूटते हुए तारे कभी धरती की सतह पर नहीं पहुंच पाते क्योंकि ये सतह पर पहुंचने से पहले ही जल जाते हैं ।  उत्तरी गोलार्द्ध में तारे टूटने की घटना जुलाई-अगस्त महीने में सबसे ज़्यादा दिखती है ।  प्राचीन समय में लोग तारों को देखकर दिशाओं का निर्धारण करते थे और भविष्यवाणी भी करते थे ।

 तारे का जीवन चक्र

तारों का जन्म “नेब्युला” (Nebula) नामक गैस और धूल के विशाल बादलों से होता है। जब नेब्युला में घनत्व और गुरुत्वाकर्षण पर्याप्त हो जाता है, तो हाइड्रोजन अणु संकेंद्रित होकर तारे के केंद्र में नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) शुरू कर देते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जो तारे को चमकने में मदद करता है। अंतरिक्ष विज्ञानियों के अनुसार  आसमान में टूटते हुए तारे या उल्का, अंतरिक्ष से आने वाले चट्टानों के टुकड़ों से बनते हैं । जब ये टुकड़े पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो घर्षण की वजह से जलने लगते हैं और चमक उठते हैं । वैज्ञानिक मानते हैं कि इसी वजह से इन्हें टूटते हुए तारे या शूटिंग स्टार कहते हैं ।वहीं, गिरते हुए तारे, उल्कापिंड होते हैं, जो कुछ बड़ी चट्टानें होती हैं और ये धरती की सतह तक पहुंच जाती हैं । टूटते हुए तारे कभी धरती की सतह पर नहीं पहुंच पाते क्योंकि ये सतह पर पहुंचने से पहले ही जल जाते हैं ।  उत्तरी गोलार्द्ध में तारे टूटने की घटना जुलाई-अगस्त महीने में सबसे ज़्यादा दिखती है ।  प्राचीन समय में लोग तारों को देखकर दिशाओं का निर्धारण करते थे और भविष्यवाणी भी करते थे ।

तारे के जीवन चरण:

  1. प्रोटोस्टार (Protostar): नेब्युला से प्रारंभिक अवस्था।
  2. मुख्य अनुक्रम चरण (Main Sequence): नाभिकीय संलयन के कारण सबसे स्थिर और लंबा चरण।
  3. रेड जाइंट/सुपरजाइंट (Red Giant/Supergiant): हाइड्रोजन समाप्त होने के बाद विस्तार।
  4. स्टेलर डेथ (Stellar Death): ऊर्जा समाप्त होने के बाद का चरण।

तारे का टूटना (स्टेलर डेथ)

जब तारे का मुख्य ईंधन (हाइड्रोजन) समाप्त हो जाता है, तो उसका गुरुत्वाकर्षण उस पर भारी पड़ने लगता है। तारे के टूटने के तरीके का निर्धारण उसके द्रव्यमान से होता है।

तारों के टूटने के प्रकार:

  1. सफेद बौना (White Dwarf):
    • छोटे या मध्यम आकार के तारे (जैसे सूर्य) अपने जीवन के अंत में बाहरी परतों को बाहर निकालते हैं।
    • उनका केंद्र बचा रहता है, जो अत्यधिक घना और गर्म होता है।
  2. सुपरनोवा (Supernova):
    • विशाल तारों में यह प्रक्रिया होती है।
    • जब नाभिकीय संलयन बंद हो जाता है, तो तारा अचानक फट जाता है।
    • यह प्रक्रिया अत्यधिक ऊर्जा छोड़ती है और ब्रह्मांड में भारी तत्वों का निर्माण करती है।
  3. न्यूट्रॉन तारे और ब्लैक होल (Neutron Star & Black Hole):
    • यदि तारा बहुत विशाल है, तो उसका कोर न्यूट्रॉन तारे में परिवर्तित हो सकता है।
    • यदि द्रव्यमान और भी अधिक हो, तो वह ब्लैक होल बन सकता है।

 तारे के बिखरने की प्रक्रिया

सुपरनोवा या तारे की बाहरी परतों के विस्फोट के दौरान, बड़ी मात्रा में गैस और धूल अंतरिक्ष में बिखर जाती है। यह सामग्री भविष्य के तारों, ग्रहों और नेब्युला का निर्माण करती है।

महत्व:

  • ब्रह्मांड में भारी तत्व (जैसे लोहे, सोने) का निर्माण तारे के टूटने से होता है।
  • इन पदार्थों से नए सौर मंडल बनते हैं।

वैज्ञानिक अध्ययन और अवलोकन

  • हबल स्पेस टेलीस्कोप और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने कई सुपरनोवा और नेब्युला की छवियां प्रदान की हैं।
  • खगोलविद इन घटनाओं का अध्ययन कर ब्रह्मांड की रचना और विकास को समझते हैं।

तारों का टूटना और बिखरना ब्रह्मांड के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रक्रिया न केवल नए तारों और ग्रहों के निर्माण का कारण बनती है, बल्कि ब्रह्मांड में जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक तत्व भी प्रदान करती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!