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बेहतर निगरानी और आपदा प्रबंधन के लिए अभिनव एयरोस्टेटिक ड्रोन का प्रदर्शन

Forest surveillance, wildlife monitoring, border and disaster surveillance in the North East, may soon be much easier — thanks to the Aerostatic Drone developed with support from North East Centre for Technology Application and Reach (NECTAR). NECTAR, an autonomous body under the Department of Science and Technology, Government of India organized a live demonstration of the technology developed by Airbotix Technologies, Gurgaon. It is the first of its kind in India, designed with high endurance and aero-statically stable capabilities to deploy for forest surveillance, wildlife monitoring, border and disaster surveillance application. Aerostatic drones are aerial platforms that derive their lift from both buoyancy and aerodynamics. The aerostatic drone provides a silent aerial platform that can persistently stay afloat for surveillance with an endurance of over 4 hours. The system is designed to be modular and could be integrated with any ground vehicle or can be installed at any site. The drone can be utilized for a variety of use cases such as wildlife monitoring, forest surveillance, crowd monitoring, border security and disaster surveillance to name a few.

 

पूर्वोत्तर में जल्द ही जंगलों, ​​वन्यजीवों, ​​सीमावर्ती क्षेत्रों और आपदा संबंधी घटनाओं की निगरानी बहुत आसानी से की जा सकेगी। यह काम नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (एनईसीटीएआर) के सहयोग से विकसित एयरोस्टेटिक ड्रोन यानी गैस भरे गुब्बारे के समान हवा में स्थिर रहने वाले ड्रोन से संभव होगा।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान एनईसीटीएआर ने इस सिलसिले में गुड़गांव के एयरबोटिक्स टेक्नोलॉजीज की ओर से विकसित प्रौद्योगिकी का लाइव प्रदर्शन किया।

यह भारत में अपनी तरह का पहला ड्रोन है, जिसे जंगलों, ​​वन्यजीवों, ​​सीमावर्ती क्षेत्रों और आपदा संबंधी घटनाओं पर नजर रखने के लिए तैनात करने के उद्देश्य से अधिक टिकाऊ और एयरो-स्टेटिक रूप से स्थिर क्षमताओं के साथ डिज़ाइन किया गया है। एयरोस्टेटिक ड्रोन उड़ान भरने के लिए उछाल और वायुगतिकी दोनों तरीकों से जमीन से ऊपर उठते हैं।

इस प्रक्रिया से उनमें बहुत कम ऊर्जा का उपयोग होता है, जिससे वे बंधे हुए (टेथर्ड) ड्रोन के लिए बेहतर विकल्प बन जाते हैं। एयरोस्टेटिक ड्रोन में शोर नहीं होता क्योंकि उन्हें हवा में तैरते हुए निरंतर निगरानी करने के लिए अतिरिक्त बल की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रकार इन पर खर्च भी कम होता है और इनका विभिन्न तरीकों से उपयोग किया जा सकता है।

एयरोस्टेटिक ड्रोन निगरानी के लिए बिना किसी शोर-शराबे के लगातार 4 घंटे से अधिक समय तक हवा में तैरता रह सकता है । इस सिस्टम को मॉड्यूलर बनाया गया है और इसे जमीन पर किसी भी वाहन के साथ जोड़ा जा सकता है या किसी भी स्थान पर लगाया जा सकता है । इस ड्रोन का उपयोग जंगली प्राणियों, ​​वनों, ​​भीड़-भाड़ पर नज़र रखने, ​​सीमा सुरक्षा और आपदा की घटनाओं की निगरानी जैसे कई मामलों में किया जा सकता है।

इस प्रकार के ड्रोन को डे एंड नाइट विजन कैमरों के साथ-साथ दूरसंचार रिले और एंटी-ड्रोन पेलोड जैसे किसी भी अन्य पेलोड से लैस करने की सुविधा है। इनमें लगाए गए डे एंड नाइट विज़न कैमरे जंगली जीवों के शिकार, तस्करी और पेड़ों की कटाई जैसी अवैध गतिविधियों पर रोक के लिए जंगलों की निगरानी करने के साथ-साथ सीमाओं पर सुरक्षा अभियानों के लिए सहायता प्रदान करने में इनकी उपयोगिता को और बढ़ा देते हैं।

इन ड्रोन के प्रदर्शन के दौरान विभिन्न संगठनों के प्रतिभागियों ने एयरबोटिक्स टेक्नोलॉजी के साथ इनकी तकनीकी क्षमताओं के बारे में बातचीत की। ड्रोन में थर्मल इमेजिंग और डिटेक्शन क्षमताओं का उपयोग करके निगरानी की सुविधाएं भी हैं।

सीआरपीएफ के अधिकारियों ने इसमें गहरी दिलचस्पी दिखाई है कि खास तौर पर सीमा पर निगरानी और चुनौतीपूर्ण इलाकों में सुरक्षा के लिए यह ड्रोन किस तरह से उनकी कार्रवाई को बेहतर बना सकता है। इस ड्रोन का संचालन थर्मल कैमरों का उपयोग करके दिन के उजाले और कम दृश्यता दोनों ही स्थितियों में किया जा सकता है। इसकी यह क्षमता सुरक्षा कर्मियों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।

 

ये ड्रोन जंगलों की स्थिति और वन्यजीवों की आबादी पर नज़र रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये ड्रोन शोर नहीं करते, इसलिए वन संरक्षणकर्ता आसानी से इनका उपयोग करके जानवरों की गतिविधियों की निगरानी सकते हैं और वहां की स्थिति में कोई बदलाव किए बगैर उनके रहन-सहन की स्थिति का आकलन कर सकते हैं। सैन्य और सुरक्षा मामलों में एयरोस्टेटिक ड्रोन का उपयोग जासूसी, निगरानी और सर्वेक्षण संबंधी मिशनों के लिए किया जाता है। यह ड्रोन वास्तविक समय के डेटा और परिस्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। इससे रणनीतिक योजना और कारगर तरीके से परिचालन की सुविधा बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त बहुत कम धातु सामग्री होने के कारण वे व्यावहारिक रूप से राडार से भी ओझल हो जाते हैं।

एरोस्टेटिक ड्रोन दूरदराज के इलाकों में या आपातकालीन स्थितियों के दौरान अस्थायी संचार सुविधा प्रदान करने लिए भी काम कर सकते हैं। इस तरह इनके माध्यम से उन जगहों पर संपर्क सुनिश्चित किया जा सकता है जहां पारंपरिक बुनियादी ढांचे की कमी हो या किसी तरह की दिक्कत हो। एरोस्टेटिक ड्रोन को अनधिकृत ड्रोन गतिविधियों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किए गए सिस्टम से भी जोड़े जा सकते हैं, जिससे हवाई अड्डों और सैन्य ठिकानों जैसे संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बढ़ायी जा सकती है।

ये ड्रोन सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान भीड़ के माहौल की निगरानी करके कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सहायता कर सकते हैं। ये ड्रोन सुरक्षा सुनिश्चित करने और संभावित गड़बड़ी पर नियंत्रण करने के लिए प्रभावशाली ढंग से प्रबंध करने में भी सहायक हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त इनका उपयोग शहरी क्षेत्रों में यातायात की स्थिति पर नज़र रखने, यातायात प्रबंधन प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करने और वास्तविक समय में सूचना हासिल करके भीड़भाड़ को कम करने में सहायता के लिए भी किया जा सकता है।

ब्रह्मपुत्र बोर्ड के अधिकारियों ने आपदा प्रबंधन और सड़क बनाने जैसे असैनिक निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए एयरोस्टेटिक ड्रोन का उपयोग करने की इच्छा व्यक्त की है।

एयरोस्टेटिक ड्रोन अपने क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले सिद्ध होंगे। इनकी बहुद्देशीय उपयोग क्षमता और उच्च प्रदर्शन संबंधी विशेषताएं भारत में मानव रहित हवाई वाहन प्रौद्योगिकी के लिए नया मानक स्थापित करेंगी।

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