होली खेलें बड़थ्वाल बिरज में ……..!
*किसी विद्वान द्वारा लिखा गया होली गीत *
–प्रस्तुति – गोविंद प्रसाद बहुगुणा-
होली खेलें बड़थ्वाल बिरज में,
होली खेलें बड़थ्वाल ।।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल।।
रावत, नेगी संग रौतेला
डिमरी बलोदी शर्मा चंदोला।
संग चलें घिल्डियाल।।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल।।
नाचें गावें ध्यानी नवानी
जोशी के संग में भागे बधानी।
उड़त अबीर-गुलाल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
पंत बोरा ओली तिवारी
ड्योंडी मेहता भंडारी कंडारी।
रंग डाले पटवाल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
बिष्ट बिजल्वांण भट्ट अर काला
रांणा ने रंग जो चौहान पे डाला।
भांग घोटे डोभाल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
बडोनी बलूनी रंग जमायें
उप्रेती कुकरेती सारा-रारा गायें।
झूंमें द्विवेदी उनियाल।।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
पांथरी पांगती ग्वाड़ी बगवाड़ी
मारें पिचकारी नैथानी मैंठाणीं।
फाग गावें अणथ्वाल।।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
नौंगांई ममगांई ठंडाई छानें
रतूड़ी बुगांणां लग गये गानें
ताल ठोके थपल्याल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
गुझिया पापड़ परमार लाये
नमकीन सारा पंवार उड़ाये।
ठुमके लगाये गौंनियाल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
गैरोला धपोला रमोला चमोला
नागिन डांस पे नाचें रुडोला जखमोला।
बीन बजाये ढौंडियाल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
भांग की बूटी लाये मालकोटी
जै-जै बोलें कफकोटी गैलाकोटी।
भोंपू बजाये डोबरियाल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
नैनवाल बोले हे मठपाल दाज्यू
कहां छुपे हैं कांडपाल राजू।
ढूंढ रहे हैं पोखरियाल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
होली की टोली घर-घर जाये
गोदियाल संग नौटियाल छाये।
बिरियानी खिलायें चुफाल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल। ।
नौड़ियाल जुयाल ने बंशी बजाई
लखचौरा ने बाल्टी उठाई।
मस्ती में चूर हैं सेमवाल।
बिरज में होली खेलें बड़थ्वाल।
*****इति********