चुनावब्लॉग

बदरीनाथ में होगी भाजपा की अग्निपरीक्षा


-दिनेश शास्त्री-
चमोली जिले की बदरीनाथ और हरिद्वार जिले की मंगलोर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए रणभेरी बज चुकी है। अगले महीने 10 तारीख को इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होगा और वोटों की गिनती 13 जुलाई को होगी। इससे पहले 14 जून को उपचुनाव की अधिसूचना जारी होगी। 21 जून तक नामांकन होंगे। 24 जून नाम वापसी का दिन है और उसके बाद चुनाव प्रचार तेज हो जायेगा।


बताते चलें, हरिद्वार की मंगलोर सीट पर बसपा के सरबत करीम अंसारी की पिछले साल 30 अक्टूबर को इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी जबकि बदरीनाथ सीट के विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी बीते मार्च में लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान अचानक कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस कारण उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि भंडारी ने तब चौंकाया भी था क्योंकि दल बदलने से पहले उन्होंने एक चुनावी सभा में भाजपा को खूब कोसा भी था किंतु अचानक बदले राजनीतिक परिदृश्य में भंडारी भाजपा के हो गए थे। यह अलग बात है कि बदरीनाथ सीट पर भाजपा को लोकसभा चुनाव में कुल 8255 मतों की बढ़त ही मिल पाई जबकि चमोली की दो अन्य सीटों थराली और कर्णप्रयाग में बदरीनाथ की तुलना में ज्यादा बढ़त मिली थी। इन दोनों सीटों पर भाजपा को 26392 मतों की बढ़त मिली। इस लिहाज से बदरीनाथ सीट पर मतदाताओं को दलबदल फायदे का सौदा नहीं रहा। इस सीट से नए नए राज्यसभा सदस्य महेंद्र भट्ट को 2022 के विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से पराजित किया था।
वैसे तो भंडारी तीन बार के विधायक हैं। पहली बार महेंद्र भट्ट ने उन्हें नंदप्रयाग सीट पर हराया था लेकिन 2006 में हुए परिसीमन के बाद नंदप्रयाग सीट खत्म हो गई। उसके बाद दोनों नेताओं ने बदरीनाथ सीट चुनी। हालांकि 2007 में भाजपा ने वहां केदार सिंह फोनिया को चुनाव में उतारा था लेकिन जीत भंडारी की हुई। भंडारी 2007 में खंडूड़ी मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। उसके बाद भी वे जीते, 2022 में भंडारी फिर कांग्रेस के टिकट पर चुने गए लेकिन मात्र दो साल बाद अज्ञात कारणों से उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।
अब जबकि बदरीनाथ सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है तो कई सारी परिस्थितियों से भंडारी को जूझना पड़ सकता है। यह नहीं भूलना चाहिए कि बदरीनाथ सीट पर इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात्र 31855 वोट मिले हैं। कमोबेश इतने ही वोट भाजपा यहां पहले से हासिल करती रही है। फिर भंडारी का वोट कहां है? यह शोध का विषय हो सकता है। जबकि भंडारी के साथ इस समय महेंद्र भट्ट भी थे जिनका आभामंडल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य बन जाने के बाद तो बढ़ा ही होगा। दूसरे इन दिनों जिले में चारधाम यात्रा चरम पर है। अधिकांश लोग यात्रा में अपने कारोबार में जुटे हैं, ऐसे में कितना मतदान होगा, यह देखने वाली बात होगी। वैसे भंडारी को चुनावी राजनीति का जादूगर माना जाता है लेकिन इस बार का उपचुनाव उनके कारण ही हो रहा है तो लोग उनका कितना समर्थन करते हैं, यह देखना निसंदेह दिलचस्प होगा। बारिश का मौसम अलग से दिक्कतें पैदा कर सकता है। ऐसे में भंडारी को जिताना भट्ट के साथ ही बलूनी और मुख्यमंत्री के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न रहेगा। नाक का सवाल तो सबके लिए बनेगा ही। परिस्थितियां कितनी अनुकूल बनती हैं, इस पर सबकी नजर रहेगी।

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