एयरबस-टीएएसएल साझेदारी – प्रेरणा की किरण
The Ministry of Defence signed a Rs 21,935 crore contract in September 2021
for the procurement of 56 C-295 transport aircraft as a replacement for the ageing Avro
fleet of the IAF. The deal with Airbus Defence and Space entailed the delivery of the
first 16 aircraft to be manufactured and delivered from its final assembly line in Seville,
Spain with the subsequent 40 being manufactured and assembled by Tata Advanced
Systems Limited (TASL) in India under an industrial partnership between India and
Spain. This was the first ever collaboration of this kind to manufacture transport aircraft
in India. The foundation stone for the TASL Final Assembly Line facility at Vadodara,
Gujarat was laid by Prime Minister Shri Narendra Modi on 30 Oct 2022. The first aircraft
in fly away condition was delivered to the then IAF Chief Air Chief Marshal VR
Chaudhari at Seville in Spain on 13 Sep 2023. Formally inducted into the IAF on 25
Sept 2023 by the Defence Minister Shri Rajnath Singh at Air Force Station Hindan, the
11 Squadron of the IAF, also known as ‘Rhinos’ based in Vadodara, is already flying six
C-295 aircraft.
-A Feature of Ministry of Defence-
रक्षा मंत्रालय ने सितंबर 2021 में भारतीय वायुसेना के पुराने हो चुके एवरो बेड़े के प्रतिस्थापन के रूप में 56 सी-295 परिवहन विमानों की खरीद के लिए 21,935 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ हुए इस समझौते में पहले 16 विमानों की डिलीवरी शामिल थी, जिन्हें स्पेन के सेविले में असेंबली लाइन में निर्मित और सौंपा जाना था, जबकि उसके बाद के 40 विमानों का निर्माण और संयोजन भारत और स्पेन के बीच औद्योगिक साझेदारी के तहत भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) द्वारा किया जाना था। भारत में परिवहन विमानों के निर्माण के लिए यह इस तरह का पहला सहयोग समझौता था। गुजरात के वडोदरा में टीएएसएल फाइनल असेंबली लाइन सुविधा की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 30 अक्टूबर 2022 को आधारशिला रखी थी। उड़ान भरने के लिए तैयार पहला विमान 13 सितंबर 2023 को स्पेन के सेविले में तत्कालीन वायु सेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी को सौंपा गया था। 25 सितंबर 2023 को रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा एयर फोर्स स्टेशन हिंडन में औपचारिक रूप से इसे आईएएफ में शामिल किया गया। वडोदरा स्थित आईएएफ का 11 स्क्वाड्रन पहले से ही छह सी-295 विमानों उड़ा रहा है। 11 स्क्वाड्रन 'राइनोज़' के नाम से भी जाना जाता है।
सी-295 एक बहु-उपयोगी सैन्य परिवहन विमान है जिसका परखा हुआ रिकॉर्ड है। इसकी 9.5 टन पेलोड और 70 यात्रियों या 49 पैराट्रूपर्स को ले जाने की क्षमता वायु सेना की क्षमता काफी बढ़ाएगी। एयरबस सी-295 में कई तरह की विशेषताएं हैं, जो सैन्य परिवहन, हवाई रसद, पैराट्रूपिंग, चिकित्सा के सुरक्षित निकलने, खोज और बचाव, समुद्री गश्त, पनडुब्बीरोधी युद्ध, पर्यावरण निगरानी, सीमा निगरानी, जल बमवर्षक और हवाई प्रारंभिक चेतावनी सहित कई तरह के मिशनों में काम आ सकती हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने 28 अक्टूबर 2024 को वडोदरा में टीएएसएल विनिर्माण सुविधा का उद्घाटन किया। भारत में पहली निजी सैन्य विमान विनिर्माण सुविधा के रूप में पहले ‘मेक इन इंडिया’ सी-295 विमान की सुपुर्दगी सितंबर 2026 में शुरू होने वाली है, जिसमें अंतिम विमान अगस्त 2031 तक भारत को मिलने की उम्मीद है। यह परियोजना भारत में एयरोस्पेस परितंत्र को विशेष प्रोत्साहन देगी, जिसमें देश भर में फैले कई सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विमान के पुर्जों के निर्माण में शामिल होंगे।
एयरबस द्वारा कुल 33 एमएसएमई की पहचान पहले ही की जा चुकी है। हैदराबाद में मुख्य इकाई सुविधा केन्द्र में विमान के घटकों का उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और भारत
डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा प्रदान किए गए इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सिस्टम को पहले ही विमान में संयोजित किये जा चुके हैं। हालांकि अनुबंध को अंतिम रूप देने में देरी के कारण इन्हें उन्नत बनाने की आवश्यकता होगी और स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों के महत्व पर अधिक जोर नहीं दिया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार यह कार्यक्रम एयरोस्पेस संदर्भ में रोजगार सृजन में उत्प्रेरक की तरह काम करेगा, जिससे भारत में एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में 42.5 लाख से अधिक मानव घंटों के साथ 600 उच्च कुशल नौकरियों के अवसर सीधे 3000 से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियों और अतिरिक्त 3000 मध्यम स्तर कौशल रोजगार के अवसर पैदा होंगे। एयरोइंजन और एवियोनिक्स के अलावा, जिन्हें एयरबस अन्य ओईएम से प्राप्त करता है, अन्य संरचनात्मक हिस्से ज्यादातर भारत में बनाए जाएंगे। एक विमान में इस्तेमाल होने वाले 14000 पुर्जों में से 13000 कच्चे माल से भारत में ही बनाए जाएंगे। हालांकि असली परीक्षा टीएएसएल द्वारा 40 विमानों के समय से निर्माण पर होगी। अब तक अधिकांश गतिविधियाँ एयरबस द्वारा संचालित की जा रही हैं, जबकि टीएएसएल केवल क्रियान्वयन कर रहा है। भारतीय एयरोस्पेस इकोसिस्टम के फलने-फूलने और समृद्ध होने के लिए स्थानीय उत्पादन, वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीएक्यूए) के माध्यम से गुणवत्ता नियंत्रण और सैन्य उड्डयन योग्यता एवं प्रमाणन केन्द्र (सीईएमआईएलएसी) द्वारा भविष्य के प्रमाणन और स्वदेशी परीक्षण और मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
पिछले दस वर्षों में भारत सरकार के सतत प्रयासों से रक्षा क्षेत्र में भारी वृद्धि हुई है। यह रक्षा उत्पादन के आंकड़ों में परिलक्षित होता है जो 43726 करोड़ रुपये से बढ़कर 127265 करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें से लगभग 21 प्रतिशत का योगदान निजी क्षेत्र का है। रक्षा निर्यात जो दस साल पहले 1000 करोड़ रुपये से कम था, पिछले साल बढ़कर 21000 करोड़ से अधिक हो गया है। कुछ नीतिगत सुधारों ने देश को इन आंकड़ों को हासिल करने में मदद
की है, जिसमें पूंजीगत उपकरणों की खरीद के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया – 2020 में स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित (आईडीडीएम) श्रेणी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। चालू वित्त वर्ष में आधुनिकीकरण बजट का पचहत्तर प्रतिशत घरेलू उद्योगों के माध्यम से खरीद के लिए निर्धारित किया गया है। सरकार द्वारा की गई विभिन्न अन्य पहल में संयुक्त कार्रवाई (एसआरआईजेएएन) पोर्टल के माध्यम से आत्मनिर्भर पहल का शुभारंभ, सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) का शुभारंभ, रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में सितंबर 2024 तक 50083 करोड़ रुपये के संभावित निवेश के साथ रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना शामिल है।
हालांकि रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) द्वारा परियोजनाओं की त्वरित मंजूरी और उसके बाद अनुबंध वार्ता के लिए बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि मई 2013 में प्रस्ताव के अनुरोध (आरएफपी) जारी होने के बाद रक्षा मंत्रालय को एयरबस के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने में लगभग छह साल लगे। भारत में सी-295 सैन्य परिवहन विमान के संयुक्त निर्माण के लिए एयरबस-टीएएसएल साझेदारी भारत में अब तक कम विकसित विमानन परितंत्र के लिए आशा और प्रेरणा की किरण के रूप में कार्य करती रही है, हालांकि यह देखा जाना बाकी है कि क्या टीएएसएल इस विमान के संस्करणों का विस्तार करेगा क्योंकि एक नागरिक प्रमाणित संस्करण भी उपलब्ध है। इस
सहयोग की पूरी क्षमता का लाभ लेने के लिए भारत में उत्पादन और भविष्य के निर्यात पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
भले ही आत्मनिर्भरता के लिए आगे की यात्रा कठिन हो, लेकिन एयरबस और टीएएसएल की इस साझेदारी से शुरुआत हो गई है और अब टीएएसएल द्वारा 40 विमानों का समय पर निर्माण करके अपने वादों को पूरा करने की
आवश्यकता है। सार्वजनिक क्षेत्र में भारत का अनुभव भारतीय वायुसेना की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया है और यदि इसमें सफलता मिली तो यह देश में निजी क्षेत्र के लिए आगे की भागीदारी का अग्रदूत हो सकता है। इसके सहयोग के बिना हमारा देश 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार नहीं कर पाएगा।