भगवान राम की तपस्थली देव प्रयाग की उपेक्षा का लगा आरोप
देहरादून, 19 जनवरी। प्राचीन नगरी देवप्रयाग के निवासियों का अरोप है कि एक तरफ अयोध्या में भगवान राम के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को ऐतिहासिक बनाने के लिये केन्द्र और राज्य सरकारें पूरी ताकत झौंक रही हैं दूसरी तरफ स्वयं राजा रामचन्द्र द्वारा बसाई गयी देवप्रयाग नगरी की उपेक्षा हो रही है।

पूर्व राज्य सूचना आयुक्त, हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और देव प्रयाग के मूल निवासी राजेन्द्र कोटियाल ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अपनी वेदना प्रकट करते हुये कहा है कि देव्रयाग स्थित पैराणिक राम मंदिर की सुध तो सरकार को है नहीं लेकिन जाने अनजाने में देव प्रयाग का नाम भी मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उदाहरण देते हुये एडवोकेट राजेन्द्र कोटियाल ने लिखा है कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन पर 11 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं जिनमें से एक देवप्रयाग के पास का सौड़ गांव भी है लेकिन प्रस्तावित स्टेशन का नाम ‘‘सौड़’’ के बजाय ‘‘सिराला’’ रखा जा रहा है। जबकि सिराला उस स्थान से 12 किमी दूर है।
एडवोकेट कोटियाल ने अपने पत्र में लिखा है कि ‘‘सौड़ गांव में जहां पर रेलवे स्टेशन बनना वह देवप्रयाग नगर पंचायत का वार्ड संख्या 4 है। इस गांव का बाजार, स्कूल, पुलिस स्टेशन, पोस्ट ऑफिस और अस्पताल देवप्रयाग में ही है। ऐसा ही अन्याय ऐतिहासिक मलेथा के साथ हो रहा है। यह वही मोधोसिंह का मलेथा है जो कि उत्तराखण्डवासियों के शौर्य और बलिदान का युगों से प्रतीक रहा है।
कोटियाल लिखते हैं कि देवप्रयाग एक पौराणिक नगरी है जहां भगवान राम ने रावण बध के बाद ब्रह्महत्या के दोष के निवारण के लिये गंगा के इस उद्गम पर तपस्या की थी और सतयुग के तपस्वी ‘‘देव शर्मा’’ के नाम पर इस नगरी का नामकरण किया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जब सम्पूर्ण भारत को राममय बनाया जा रहा है तो भगवान राम की तपस्थली का नाम मिटाया जाना दुखदायी है। उन्होंने कहा कि स्टेशनों के नामकरण उन लोगों द्वारा किये गये जिनकों उत्तराखण्ड के इतिहास भूगोल की जानकारी ही नहीं है। इसी तरह के बेतुके नामकरण नेशनल हाइवे पर किये गये है। इसके उदाहरण हरिद्वार देहरादून के बीच देखे जा सकते हें।