जीएसटी सुधारों की घोषणा से बाजार पड़ा सुन्न, लेकिन लंबी अवधि में उपभोग का होगा उछाल
By- usha Rawat
नई दिल्ली, 1 सितंबर । स्वतंत्रता दिवस 2025 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में नई हलचल पैदा कर दी है। सुधारों के तहत टैक्स ढांचे को सरल बनाते हुए 12% और 28% स्लैब को खत्म कर अधिकांश वस्तुओं को 5% या 18% दर पर लाने का प्रस्ताव है। यह बदलाव अक्टूबर 2025 तक लागू होने की संभावना है, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती खरीदारी का लाभ मिलेगा।
हालांकि, इस घोषणा का तत्काल असर बाजार पर नकारात्मक पड़ा है। उपभोक्ता टैक्स कटौती का इंतजार कर रहे हैं, जिसके चलते फिलहाल बिक्री में गिरावट और बाजार में सुस्ती का माहौल है।
तत्काल असर: खरीदारी पर ब्रेक, कारोबार पर दबाव
जीएसटी सुधारों की खबर ने उपभोक्ताओं को इंतजार की स्थिति में डाल दिया है। लोग दिवाली से पहले वस्तुओं के सस्ते होने की उम्मीद में खरीदारी रोक रहे हैं।
उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव: 12% और 28% टैक्स स्लैब की वस्तुओं पर 5% या 18% टैक्स लागू होने की संभावना से ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, एफएमसीजी और सीमेंट जैसे क्षेत्रों की बिक्री पर असर पड़ा है। उदाहरण के लिए, छोटी कारों और दोपहिया वाहनों पर टैक्स घटने की संभावना के कारण इनकी बिक्री ठप हो गई है। ऑटो कंपनियों का अनुमान है कि अगस्त-सितंबर में बिक्री में 15-20% की गिरावट हो सकती है।
बाजार का हाल: शुरुआती उत्साह के बाद शेयर बाजार में अनिश्चितता बढ़ी है। मिडकैप इंडेक्स दबाव में है और कंपनियों की इन्वेंट्री बढ़ रही है क्योंकि उत्पादन तो हो रहा है, लेकिन खपत नहीं। एमएसएमई क्षेत्र में कैश फ्लो की समस्या गहराई है। विपक्षी राज्यों का दावा है कि इन सुधारों से राजस्व में 15-20% की कमी आ सकती है।
वैश्विक कारक: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50% आयात शुल्क की धमकी ने स्थिति को और पेचीदा कर दिया है। हालांकि घरेलू बाजार की सुस्ती मुख्य रूप से जीएसटी सुधारों के ऐलान का नतीजा है।
लंबी अवधि में फायदे: कर ढांचे का सरलीकरण और विकास की रफ्तार
हालांकि वर्तमान स्थिति चिंताजनक है, लेकिन विशेषज्ञ इन सुधारों को अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा कदम मान रहे हैं।
सरल टैक्स ढांचा: चार टैक्स स्लैब को घटाकर दो स्लैब (5% और 18%) करना सिस्टम को सरल बनाएगा। ‘सिन गुड्स’ पर 40% का विशेष स्लैब रहेगा। यह कदम एमएसएमई के लिए अनुपालन आसान करेगा और असंगठित क्षेत्र को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने में मदद करेगा।
उपभोग और विकास को बढ़ावा: टैक्स घटने से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी। एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटो और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में मांग में तेजी आने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी में 0.35-0.45% की वृद्धि हो सकती है।
वैश्विक चुनौतियों का समाधान: निर्यात पर वैश्विक दबाव के बावजूद घरेलू खपत में वृद्धि से अर्थव्यवस्था संतुलित रह सकती है। आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना भी बढ़ी है।
अल्पकालिक चुनौतियों के बाद संभावनाओं का बाजार
जीएसटी सुधारों ने फिलहाल बाजार में सुस्ती ला दी है, लेकिन यह अस्थायी दौर है। सही समय पर लागू होने पर ये सुधार उपभोग बूम ला सकते हैं और अर्थव्यवस्था को नई दिशा देंगे। निवेशकों और कारोबारियों को फिलहाल सतर्क रहते हुए कंज्यूमर सेक्टर पर नजर रखने की सलाह दी जा रही है।
सरकार के लिए यह “डबल दिवाली” का वादा है, जिसे तेज और प्रभावी कार्यान्वयन के जरिए हकीकत में बदला जा सकता है।
