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मछली के झुंडों, पक्षियों के समूहों, जीवाणु संबंधी समूहों जैसे स्व-चालित अस्थिरताओं के असंगत व्यवहार का

Scientists have found a clue to the dynamical origin of fluctuations in systems like fish schools, swarms of insects, flocking birds, and bacterial colonies, which are called active matter systems. This understanding can be useful in nanotechnology applications like building small-scale energy-efficient bio-devices as well as biomedical applications like characterizing infection spread in organs, antibiotic resistance, and so on.

 

By- Usha Rawat

डीएसटी के वैज्ञानिकों को मछली के झुंडों, कीट समूहों, पक्षियों के समूह और जीवाणु संबंधी समूहों, जिन्हें सक्रिय तत्व प्रणालियां कहा जाता है, जैसी प्रणालियों में अस्थिरताओं की गतिशील उत्पत्ति का एक सुराग मिला है। यह जानकारी छोटे पैमाने पर ऊर्जा सक्षम जैव-उपकरणों के निर्माण तथा अंगों में फैलने वाले संक्रमण, एंटीबायोटिक प्रतिरोध इत्यादि की तरह के जैव-चिकित्सा अनुप्रयोगों जैसे नैनो-प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में उपयोगी हो सकती है।

ऐसी प्रणालियां स्व-चालित संघटकों से बनी होती हैं जो यांत्रिक कार्य सृजित करने के लिए अपने आसपास के वातावरण से ऊर्जा निकालती हैं। निरंतर ऊर्जा इनपुट के कारण, इस तरह की प्रणालियां संतुलन से दूर संचालित होती हैं और संतुलन के विपरीत, क्लस्टरिंग, “विशाल” तत्व अस्थिरता और विषम परिवहन जैसे आकर्षक सामूहिक व्यवहार प्रदर्शित करती हैं। विशेष रूप से, उनके परिवहन गुण (आणविक गुण, चिपचिपाहट, तापीय चालकता और गतिशीलता जो उस दर को इंगित करती है, जिस पर गति, ऊष्मा और द्रव्यमान प्रणाली के एक भाग से दूसरे में स्थानांतरित हो जाते हैं) कई बार हैरान करने वाले हो सकते हैं।

इस तरह की प्रणालियों के विसंगतिपूर्ण व्यवहार को एक कप कॉफी, जिसे एक चम्मच से घुमाया गया है, पर विचार करने के द्वारा समझा जा सकता है। यदि कोई उस घुमाव को रोकता है, तो आंतरिक गाढ़े बल, जो तरल की गति का प्रतिरोध करती है, के कारण कॉफी अंततोगत्वा स्थिर हो जाएगी। इसके विपरीत, एक जीवाणु संबंधी घोल को “घुमाने” की कल्पना करें, जो उपयुक्त परिस्थितियों (जीवाणु संबंधी सांद्रता) के तहत, नियमित या निरंतर सामूहिक निर्देशित गति प्रदर्शित कर सकता है; उस मामले में, चिपचिपाहट ऐसे “सक्रिय” जीवाणु तरल पदार्थ में लुप्त हो जाएगी।

इस विषम व्यवहार की जांच करते हुए पुण्यब्रत प्रधान के नेतृत्व में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान एस.एन. बोस राष्ट्रीय मूलभूत विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने स्व-चालित कणों के एक खिलौना मॉडल का अध्ययन किया और सामान्य रूप से इस तरह के सक्रिय मामलों के उभरते गुणों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए प्रणाली में ‘विशाल’ द्रव्यमान अस्थिरता की गतिशील उत्पत्ति की व्याख्या की। इस अध्ययन के निष्कर्ष हाल ही में ‘फिजिकल रिव्यू’ जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।

टीम ने स्व-चालित कणों के एक खिलौना मॉडल का अध्ययन किया, जहां बैक्टीरिया की बैलिस्टिक गति (जैसे एस्चेरिचिया कोली) का लंबी दूरी वाले पार्टिकिल हॉपिंग के माध्यम से अनुकरण किया गया था। उन्होंने प्रदर्शित किया कि एक महत्वपूर्ण मान से आगे ट्यूनिंग सांद्रता पर कणों की चालकता या गतिशीलता; भिन्न दिशाओं में चली जाती हैं; दूसरे शब्दों में, प्रतिरोध शून्य हो जाता है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने शून्य प्रतिरोध और प्रणाली में विभिन्न बड़े उतार-चढ़ावों के बीच एक अंतरंग संबंध प्रदर्शित किया और इस प्रकार प्रणाली में “विशाल” बड़े उतार-चढ़ावों की गतिशील उत्पत्ति की व्याख्या की।

[प्रकाशन लिंक :DOI: https://doi.org/10.1103/PhysRevE.101.052611 )

अधिक जानकारी के लिए, एसोसिएट प्रोफेसर पुण्यब्रत प्रधान (punyabrata.pradhan@bose.res.in) से संपर्क किया जा सकता है।]

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