रेडिएशन के लॉन्ग टर्म इफ़ेक्ट से बचाव को बेनिफिट्स एंड रिस्क का बैलेंस अनिवार्य
अलुमनाई मेंटरशिप प्रोग्रामः रेडिएशन रिस्क एज़ वेल एज़ जस्टिफिकेशन इमेज ऑप्टिमिजाशंस इन रेडियोग्राफी पर टीएमयू की अलुमना डॉ. हिना कमर का रेडिएशन रिस्क पर सिडनी से संवाद
-प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
फॉरेन कंट्री में रेडिएशन रिस्क, जस्टिफिकेशन सरीखी बहुत प्रॉब्लम होती हैं। इमरजेंसी के समय पर जब पेशेंट आता है तो हमें पेशेंस रखना चाहिए। यह मानना है तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की बैचलर ऑफ़ रेडियोलॉजिकल इमेजिंग एंड टेक्निक 2010-2014 की अलुमना हिना कमर का। हिना रेडिएशन चैलेंजेज के बारे में बोलीं, हम लोग हेल्थ प्रोफेशनल- रेफररेरस एंड रेडियोलाजिस्ट के बीच अच्छे से कम्युनिकेट नहीं कर पाते हैं। हमें ईमानदारी, भावनात्मकता और एविडेंस के साथ पेशेंट का एक्स रे और अल्ट्रासाउंड को केयर एवम् कॉन्फिडेंस के साथ करने चाहिए, जिससे बेनिफिट्स एंड रिस्क दोनों को बैलेंस किया जा सके। दोनों को बैलेंस करके ही पेशेंट को रेडिएशन के लॉन्ग टर्म इफ़ेक्ट से बचाया जा सकता है। डॉ. हिना तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के अलुमनाई प्रकोष्ठ की ओर से अलुमनाई मेंटरशिप प्रोग्राम में रेडिएशन रिस्क एज़ वेल एज़ जस्टिफिकेशन इमेज ऑप्टिमिजाशंस इन रेडियोग्राफी पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थीं। वर्तमान में डॉ. हिना कमर आई मेड रेडियोलोजी नेटवर्क सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार, एआरसी, प्रो निखिल रस्तोगी ने डॉ. हिना कमर का स्वागत करते हुए कहा, टीएमयू अपने अलुमनाई से निरंतर जुड़ाव के लिए तरसता है। अलुमनाई हमारे मूल्यवान राजदूत और भविष्य की आशाओं का एक सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं। अलुमनाई मेंटरशिप कार्यक्रम में पैरामेडिकल के वाइस प्रिंसिपल प्रो. नवनीत कुमार भी मौजूद थे।
डॉ. हिना कमर ने बताया, हमें प्रेग्नेंट पेशेंट का एक्स रे डोज़ बहुत ही कॉन्फिडेंस से कंट्रोल करना चाहिए। डॉ. कमर ने अपने व्याख्यान में रेडियशन क्या है? इसके रिस्क क्या-क्या है? हॉस्पिटल में रेडियशन का यूज रेडियो थेरेपी, एक्स-रे और पंचिंग लैब में कैसे होता है आदि के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. कमर ने बताया, यदि रेडिएशन ज्यादा इन्सर्ट किया गया होगा तो उसका इफ़ेक्ट 30-40 साल बाद कैंसर के रूप में दिखाए देता है। डॉ. कमर ने बताया कि रेडिएशन से दो तरह के इफ़ेक्ट पड़ सकते हैं- पहला तत्काल और दूसरा पीढ़ी दर पीढ़ी। उन्होंने दो प्रकार के रेडियशन इफ़ेक्ट का ज्रिक किया। फर्स्ट डेटर्मीनिस्टिक- जिससे लोग वहाँ पर जल गए थे या कुछ और डैमेज हो गया था। सेकेंड स्टोकेस्टिक इफ़ेक्ट- यहाँ रेडिएशन डीएनए में चला गया, जिस कारण आज भी वहां पर इफ़ेक्ट देखने को मिलता है। डॉ. हिना ने रेडिएशन के प्रिंसिपल्स को बताते हुए कहा, इसके तीन बेसिक कॉम्पोनेन्ट हैं- जस्टिफिकेशन, ऑप्टिमाइजेशन और डायग्नोस्टिक। कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने अलुमना हिना कमर से सवाल-जवाब भी पूछे। छात्रा राहिला इरफ़ान ने पूछा, हमें इमेज का इवैल्यूएशन कैसे करना है और उसका सही तरीका क्या है? इस पर हिना कमर ने सही पोजीशन, रोटेशन, और ज्वाइंट स्पेस को देखने के तौर-तरीक़ों को सभी छात्रों को समझाया। इस मौके पर फैकल्टीज श्री नीरज शाह, श्रीमती प्रियंका सिंह आदि की भी उपस्थिति रही।