सडकों पर कूड़ा छोड़ कर उठा लिए कूड़ादान ; स्मार्ट सिटी देहरादून में ऐसे लग रहा स्वच्छता मिशन को पलीता
By-Usha Rawat
देहरादून, 9 जनवरी ।मुख्य सचिव डा0 संधू ने हाल ही में नगर विकास के अधिकारियों को 15 दिन के अंदर तमाम शहरी निकायो में सडकों पर रखे गये कूड़ा दान हटाने के आदेश दिये थे ताकि नगर निकाय घरों से ही कूड़ा उठाएं। मुख्य सचिव के आदेश पर कूड़े दान तो उठ गये मगर कूड़े के ढेर नहीं उठे।
11 जनवरी को भारत की राष्ट्रपति नगरों को स्वच्छता रैंकिंग के लिए पुरस्कार देने जा रही हैं । देहरादून महानगर भी पुरस्कार की दौड़ में है।
एक अनुमान के मुताबिक, देहरादून में रोजाना करीब 500 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इस मात्रा में 60% गीला कचरा, 30% प्लास्टिक आदि का कचरा होता है लेकिन नगर निगम इस कचरे का प्रबंधन नहीं कर पा रहा है। यह हालत राजधानी शहर की है जबकि उसे स्मार्ट सिटी का तमगा पहना दिया गया है। बाकि नगरीय इकाईयों की कल्पना की जा सकती है।
ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण के मामले में उत्तराखंड देश का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य है। प्रतिदिन यह 1,406 टन ठोस कचरा उत्पन्न करता है और इसका 0% संसाधित करता है।
स्वच्छ भारत मिशन’ के अन्तर्गत देहरादून शहर में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 58 डोर-टू-डोर वाहनों का फ्लैग ऑफ किया था। इस अवसर पर कूड़ा सेग्रिगेशन पर आधारित गीत का विमोचन भी हुआ था।
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भारत में प्रतिदिन 1,50,000 टन से अधिक नगरपालिका ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है, तथापि, मात्र 83% अपशिष्ट को ही एकत्रित किया जाता है तथा 30% से भी कम अपशिष्ट को उपचारित किया जाता है। विश्व बैंक ने, 2025 तक भारत में प्रतिदिन लगभग 3,77,000 टन अपशिष्ट उत्पादित होने का अनुमान लगाया गया है। इसके लिए उत्तरदायी प्रमुख कारणों में अनियोजित नगरीकरण, तीव्र औद्योगीकरण, बढ़ती आय, उपभोक्तावाद, अवैज्ञानिक निपटान प्रणाली के साथ-साथ अप्रभावी एवं अपर्याप्त अपशिष्ट अवसंरचना शामिल हैं।