सैनिक नारायण सिंह के 56 साल पुराने शव का कल गुरुवार को होगा दाह संस्कार
-हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट-
थराली, 2 अक्टूबर। 56 वर्ष पहले 7 फरवरी 1968 भारतीय वायु सेना का एएन 12 विमान जो कि दुर्घटनाग्रस्त हो गया था उसमें सवार थराली विकासखंड के सोल क्षेत्र के कोलपुड़ी गांव निवासी नारायण सिंह बिष्ट का गुरुवार को पूरे सैनिक एवं राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान ने चंडीगढ़ से उड़ान भरी यह विमान छह क्रू सदस्यों के साथ लेह पहुंचा। जहां से भारतीय सेना के लोगो को लेह से चंडीगढ़ वापस लाया जा सके, विमान ने लेह से उड़ान भरी विमान में चालक दल सहित कुल 102यात्री सवार थे, लेकिन चंडीगढ़ की ओर आते समय खराब मौसम की वजह से ढाका ग्लेशियर के क्षेत्र में विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस विमान दुर्घटना में सवार सैनिकों की खोज के लिए सेना और डोगरा स्काउट्स ने कई बार खोज अभियान चलाएं 2003 में अटल बिहारी वाजपेई पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों को दुर्घटनाग्रस्त विमान का मलवा ढुंढ निकालने में सफलता मिली, इसके बाद डोगरा स्काउट्स ने 2005 ,2006,2013 और 2019 में तलाश अभियानों में अग्रिम मोर्चे पर रहा ,दुर्गम क्षेत्र होने और परिस्थितियां प्रतिकूल होने के बावजूद 2019 तक उन्हें केवल पांच शवो के अवशेष ही बरामद हुए थे ,जिनमे से एक अवशेष की शिनाख्त, पहचान दस्तावेजों के अनुसार सिपाही नारायण सिंह बिष्ट के रूप में हुई है, जोकि थराली के कोलपुड़ी निवासी थे। वे सेना के मेडिकल कोर में तैनात थे।
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गुरुवार को 56 वर्षों के बाद शहीद सैनिक नारायण सिंह बिष्ट का सैन्य एवं राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। जिलाधिकारी चमोली संदीप तिवारी ने बताया कि शहीद के शव को बुधवार को सेना का विशेष दस्ता देहरादून से गौचर लेकर पहुंचेगा, गौचर, कर्णप्रयाग में शहीद को रखने के लिए उपयुक्त स्थान नही होने पर शहीद को रूद्रप्रयाग सैनिक कैंप में ले जाया जाएगा। गुरुवार को सुबह सेना के विशेष वाहन के जरिए शहीद को थराली लाया जाएगा। जहां पर पूरे सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जाएगी।
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शहीद की बेवा बसंती देवी को जीवित रहते सेना की ओर से कोई भी मदद नही दी गई। शहीद सैनिक नारायण सिंह बिष्ट के भतीजे एवं कोलपुड़ी के ग्राम प्रधान जयवीर सिंह बिष्ट ने बताया कि शहीद का विवाह 1962 में गांव की ही बसंती देवी से छोटी उम्र में हो गई थी। 1968 में विमान दुर्घटना के बाद से लापता नारायण सिंह के घर पहुंचने की आशा में कई वर्षों तक बसंती देवी उनकी राह ताकती रही, किंतु लंबे समय बाद भी उनकी कोई सूचना नही मिलने पर बसंती देवी के ससुर ने उनका पुनर्विवाह नारायण सिंह के छोटे चचेरे भाई से करवा दिया। प्रधान जयवीर सिंह के अनुसार उनकी ताई जी को सेना के द्वारा उनके जीवित रहते कोई भी सहायता नही दी गई।