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इंसानियत मंच ने किया नफरत के खिलाफ मशालें जलाये रखने का आह्वान

बचा सको तो बचा लो उत्तराखंड अभियान के तहत गांधी पार्क में नुक्कड़ सभा और शांति मार्च

देहरादून, 20 मई। उत्तराखंड इंसानियत मंच के बैनर तले सोमवार शाम को गांधी पार्क में नुक्कड़ सभा और गांधी पार्क से घंटाघर तक शांति मार्च का आयोजन किया। इस मौके पर नफरत के खिलाफ मशालें जलाये रखने का आह्वान किया गया और शांति और सद्भाव चाहने वाले लोगों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की गई।

नुक्कड़ सभा में सीपीआई नेता समर भंडारी ने कहा कि आज पूरे उत्तराखंड को इस तरह के अभियान की जरूरत है। जिस तरह से सरकार की शह पर पूरे राज्य में साम्प्रदायिक नफरत को हवा दी जा रही है, उससे निपटने के लिए हम सभी को एकजुट होने की जरूरत है। एडवोकेट रजिया बेग ने इस अभियान को पूरी तरह से समर्थन देने की बात कही और कहा कि उत्तराखंड राज्य में भाईचारे को बिगाड़ने के हर प्रयास का मजबूती के साथ मुकाबला किया जाएगा।

सीटू के लेखराज ने कहा कि इस तरह की वैमनस्यता से कुछ लोग राजनीतिक लाभ उठाते हैं, लेकिन आम नागरिकों और खासकर मजदूरों को इसका शिकार होना पड़ता है। उन्हों आम नागरिकों का आह्वाल किया कि वे नफरतियों के झांसे में न आयें। नफरत से न सिर्फ विकास अवरुद्ध होता है, बल्कि आम नागरिकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उत्तराखंड क्रांति दल के लताफत हुसैन ने कहा कि उत्तराखंड ने हमेशा सामाजिक सद्भाव की मिसाल कायम की है। इस राज्य में नफरतियों के मंसूबे कामयाब नहीं होंगे।

एसएफआई के हिमांशु चौहान ने कहा कि सरकारी कॉलेजों में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। स्कूलों में न अध्यापक हैं और न प्रिंसिपल। यदि ललित मोहन सती जैसा कोई अध्यापक मंत्री से शिकायत करता है तो उन्हें नोटिस भेज दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इन्हीं सब कमियों पर पर्दा डालने के लिए हिन्दू मुसलमान और पहाड़ मैदान का विवाद पैदा किया जा रहा है। सभा का संचालन करते हुए उत्तराखंड इंसानियत मंच के त्रिलोचन भट्ट ने कहा कि आज उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण है। ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में हिमालय भी शामिल है। यही स्थिति रही तो आने वाले समय में हिमालय के ग्लेशियर पिघल जाएंगे और गंगा-यमुना जैसी नदियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, ऐसा वैज्ञानिकों कहना है। इस स्थिति में इस राज्य के एक-एक व्यक्ति को पर्यावरण संरक्षण की लड़ाई लड़नी चाहिए थी, लेकिन लोगों को हिन्दू-मुसलमान में उलझा दिया गया है।

जन नाट्यकर्मी सतीश धौलाखंडी ने ‘मशालें लेकर चलना कि जब तक रात बाकी है, संभल कर हद कदम रखना कि जब तक रात बाकी है’ जनगीत गाकर संघर्ष की मशाल जलाये रखने का आह्वान किया। इसके बाद गांधी पार्क से घंटाघर तक शांति मार्च निकाला गया। इस दौरान हम संविधान बचाने आये हैं, आओ हमारे साथ चलो और नफरत फैलाना नहंी चलेगा जैसे नारे लगाये गये और बचा सको तो बचा ले उत्तराखंड को अभियान के पर्चे बांटे गये।

इस मौके पर डॉ. रवि चोपड़ा, कमला पंत, उमा भट्ट, नन्द नन्दन पांडे, राघवेन्द्र, तुषार रावत, निर्मला बिष्ट, वीके डोभाल, राजेन्द्र पुरोहित, अनंत आकाश, हेमलता नेगी, सुरेन्द्र सिहं सजवाण, स्वाति नेगी, शीशपाल राजा, यशवीर आर्य, परमिन्दर सिंह, जगदीश कुकरेती सहित कई लोग मौजूद थे।

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