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अब सीमेंट कंक्रीट की कार्बन सोखने की क्षमता पर होगी राष्ट्रीय स्तर पर गणना

सीमेंट उद्योग से होने वाला प्रदूषण घटाने की दिशा में बड़ा कदम

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (PIB)। देश में भवन निर्माण और सीमेंट उद्योग से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन निर्माण सामग्री परिषद (NCB) के 63वें स्थापना दिवस पर ग्लोबल सीमेंट एंड कंक्रीट एसोसिएशन इंडिया–NCB की ‘कार्बन अपटेक रिपोर्ट’ जारी की गई है, जिसमें यह आकलन किया गया है कि कंक्रीट अपने जीवनकाल में कितनी कार्बन डाईऑक्साइड अवशोषित कर लेता है।
विशेषज्ञों के अनुसार सीमेंट उद्योग वैश्विक मानव जनित कार्बन उत्सर्जन का लगभग 7% हिस्सा है। ऐसे में यह रिपोर्ट भारत में निर्माण गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव को समझने और कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
इसी मौके पर जिप्सम बोर्ड परीक्षण प्रयोगशाला और सूक्ष्म-लक्षण वर्णन प्रयोगशाला भी शुरू की गईं, जिनकी मदद से निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की उन्नत जांच हो सकेगी। इससे घटिया निर्माण सामग्री पर रोक लगेगी और मकानों व इमारतों की सुरक्षा और टिकाऊपन बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भविष्य में निर्माण क्षेत्र के कार्बन उत्सर्जन का वास्तविक आकलन करते समय कंक्रीट द्वारा अवशोषित कार्बन को भी जोड़ा जाए। इस अध्ययन को भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र को सौंपी जाने वाली जलवायु रिपोर्ट (NATCOM) में शामिल करने पर विचार किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत के ग्रीन डेवलपमेंट प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिलेगी।
कार्यक्रम में शामिल अधिकारियों ने कहा कि ग्रीन बिल्डिंग, कम प्रदूषण वाले सीमेंट और टिकाऊ निर्माण तकनीकों की दिशा में यह रिपोर्ट मार्गदर्शक साबित होगी। निर्माण क्षेत्र से जुड़े इंजीनियरों, बिल्डरों और गृह-निर्माण की planning कर रहे लोगों के लिए यह कदम सीधे तौर पर गुणवत्ता और पर्यावरण—दोनों मोर्चों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

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