वाहनों की गति मापने के लिए रडार उपकरण’ के लिए नियम अधिसूचित
To strengthen road safety and ensure fairness in traffic enforcement, the Department of Consumer Affairs has notified rules for ‘Radar equipment for the measurement of the speed of vehicles’ under the Legal Metrology (General) Rules, 2011. These rules will come into force from 1st July 2025, providing sufficient time for industries and enforcement agencies to comply with the provisions. These rules make it mandatory for all radar-based speed measurement equipment to be verified and stamped by Legal Metrology authorities. This will ensure that such devices are accurate, calibrated, and legally compliant, thereby enhancing transparency, public trust, and enforcement integrity. Verified radar systems are vital for applications such as traffic speed monitoring, accident prevention, and minimizing wear and tear on road infrastructure.
1 जुलाई 2025 से लागू होंगे नियम; सड़क सुरक्षा को मजबूत करना और यातायात परिचाल में निष्पक्षता सुनिश्चित करना है
नयी दिल्ली, 18 अप्रैल।सड़क सुरक्षा को मजबूत करने और यातायात परिचालन में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता मामले विभाग ने विधिक माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत ‘वाहनों की गति मापने के लिए रडार उपकरण’ के लिए नियम अधिसूचित किए हैं। ये नियम 1 जुलाई 2025 से लागू होंगे जिससे उद्योगों और प्रवर्तन एजेंसियों को प्रावधानों का अनुपालन करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
इन नियमों के अनुसार सभी रडार-आधारित गति मापक उपकरणों विधिक माप विज्ञान अधिकारियों द्वारा सत्यापित और मुहर लगाए हुए होने चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ऐसे उपकरण सही हैं, कैलिब्रेटेड हैं और कानूनी रूप से नियमानुसार हैं जिससे पारदर्शिता, जनता में विश्वास और नियमों का पालन करने में ईमानदारी बढ़ेगी। सत्यापित रडार सिस्टम वाहनों की गति की निगरानी, दुर्घटना की रोकथाम और सड़क के पर हुई टूट-फूट को कम करने जैसे अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इन नियमों का प्रारूपण अंतर्राष्ट्रीय मानक ओआईएमएल आर 91 पर आधारित तकनीकी इनपुट वाली समिति द्वारा किया गया था। नियमों को अंतिम रूप देने से पहले राज्य विधिक माप विज्ञान विभागों, क्षेत्रीय संदर्भ मानक प्रयोगशालाओं (आरआरएसएल), निर्माताओं और उपभोक्ता संगठनों सहित हितधारकों से प्रस्तुतियों और सार्वजनिक फीडबैक के माध्यम से परामर्श किया गया था।
इन नियमों के क्रियान्वयन से सभी हितधारकों को महत्वपूर्ण लाभ मिलता है। आम नागरिकों के लिए, रडार-आधारित गति माप उपकरणों का अनिवार्य सत्यापन, गति सीमाओं के सटीक प्रवर्तन को सुनिश्चित करेगा, जिससे अनुचित दंड को रोका जा सकेगा और सड़क सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। नागरिक यह जानकर अधिक आत्मविश्वास के साथ गाड़ी चला सकते हैं कि इन नियमों का अनुपालन वैज्ञानिक रूप से मान्य और कानूनी रूप से प्रमाणित उपकरणों पर आधारित है।
उद्योगों के लिए, विशेष रूप से रडार-आधारित गति मापक उपकरणों के विनिर्माण में शामिल उद्योगों के लिए, नए नियम ओआईएमएल आर 91 जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक स्पष्ट तकनीकी और नियामक ढांचा स्थापित करते हैं। यह न केवल घरेलू नवाचार और अनुपालन को प्रोत्साहित करता है, बल्कि गुणवत्ता और प्रदर्शन में स्थिरता सुनिश्चित करके वैश्विक बाजारों में भारतीय निर्माताओं की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ाता है।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए, सत्यापित और मुहर लगे उपकरणों की शुरूआत परिचालन प्रभावशीलता और विश्वसनीयता के उच्च स्तर को सुनिश्चित करती है। ये उपकरण विश्वसनीय, साक्ष्य-आधारित प्रवर्तन की अनुमति देते हैं जो जनता का विश्वास बनाए रखने और गति विनियमों के अनुपालन में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। प्रमाणित और कैलिब्रेटेड उपकरणों की उपलब्धता अधिकारियों को आत्मविश्वास और सटीकता के साथ कार्य करने में सक्षम बनाती है।
राष्ट्रीय स्तर पर, यह पहल यातायात प्रबंधन में डेटा-संचालित शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सड़क दुर्घटनाओं को कम करने, राजमार्गों पर अनुशासन बढ़ाने और सड़क दुर्घटनाओं, वाहनों की टूट-फूट और बुनियादी ढांचे को होने वाले नुकसान से जुड़ी सामाजिक और आर्थिक लागतों को कम करके सतत आर्थिक विकास में सहायता करने में मदद करता है। ये नियम देश में एक सुरक्षित और अधिक तकनीकी रूप से उन्नत परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में योगदान करते हैं।
रडार उपकरण डॉपलर रडार जैसी तकनीकों का उपयोग करके संचालित होते हैं, जो उच्च सूक्ष्मता के साथ वाहन की गति को मापते हैं। ये नियम विस्तृत तकनीकी और सुरक्षा आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करते हैं, उचित अंशांकन सुनिश्चित करते हैं, विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में स्थिर संचालन और उपकरणों को बिगड़ने के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। ऐसे उपाय तकनीकी विश्वसनीयता और कानूनी जवाबदेही को बढ़ावा देंगे।
यह कदम कानूनी माप-पद्धति के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए भारत में चल रहे सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सार्वजनिक प्रवर्तन में मापन उपकरण वैज्ञानिक रूप से मजबूत और कानूनी रूप से सत्यापन योग्य हों।