चमोली में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास कार्यों ने पकडी रफ्तार।
*जिलाधिकारी संदीप तिवारी की कुशल कार्यशैली से जनता को मिल रहा लाभ।*
*किसानों के लिए सार्थक हो रही डीएम की पहल। मत्स्य पालन, मशरूम और कीवी उत्पादन से जुडकर किसान बन रहे आत्मनिर्भर*
-महिपाल गुसाईं-
गोपेश्वर, 15 फरबरी। चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी मात्र पांच माह के कार्यकाल में जिले में अपनी कुशल कार्यशैली के चलते पसंदीदा अफसरों में शुमार हो गए हैं। जहां वह आम लोगों के बीच सहजता से घुल मिल कर उनकी फरियाद का त्वरित निस्तारण कर रहे हैं, वहीं बिना तामझाम सरलता से राह चलते लोगों के दुखदर्द पूछ कर उनके निवारण के लिए भी जाने जाने लगे हैं। इस कारण वे जनता के बीच खासे चर्चा में है। डीएम एक तरफ आम जनता की शिकायतों का तत्काल समाधान कर रहे हैं, वहीं उत्तरदाई प्रशासन की नीति का अनुगमन करते हुए नई इबारत भी लिख रहे हैं।
गौरतलब है कि आईएएस संदीप तिवारी ने विगत सितंबर 2024 में चमोली में जिलाधिकारी का कार्यभार संभाला। कार्यकाल के मात्र पांच महीनों में ही उन्होंने अपनी कार्यशैली से आम लोगों को मुरीद बना लिया है। एक कहावत है कि गुड़ न मिले लेकिन गुड़ की सी बात कोई कर ले तो आधे कष्ट तो खुद – ब- खुद खत्म हो जाते हैं लेकिन डीएम तिवारी तो गुड़ जैसी बात ही नहीं करते बल्कि गुड़ देते भी हैं और उसे बढ़ाने की तरकीब भी देते हैं। जिले में पिछले कुछ समय से विभिन्न कारणों से अनेक विकास कार्य रुके थे, लोगों ने उनका ध्यान आकर्षित किया तो डीएम ने संज्ञान लिया और पहली फुर्सत में ही उन्हें सिरे चढ़ाने का काम शुरू कर दिया। नतीजतन रुके हुए विकास कार्यों ने रफ्तार पकड़ ली है। यातायात सुविधा के लिए तरस रहे गांवों तक सड़कें बनने लगी हैं।
खास बात यह है कि श्री तिवारी ने एक साथ बहुआयामी विकास की शुरुआत की है। उन्होंने शुरुआत से ही किसानों की आर्थिकी सुदृढ करने पर जोर दिया। मशरूम उत्पादन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गैरसैंण ब्लाक के आदिबद्री, खेती, मालसी और थापली गांव का चयन करते हुए वहां पर किसानों को शत- प्रतिशत अनुदान देकर मशरूम टनल का निर्माण कराया। किसानों को हरिद्वार में मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिलाकर मशरूम उत्पादन से जोडा। मशरूम उत्पादन से प्रभावित होकर धीरे – धीरे क्षेत्र के अन्य किसान भी इसे अपनाने लगे हैं। यही नहीं पौडी, अल्मोड़ा व बागेश्वर से किसान यहां पहुंकर मशरूम हार्वेस्टिंग के गुर सीख रहे हैं। जिले में यह एक तरह से नई क्रांति हुई है।
जिलाधिकारी ने दशोली ब्लाक के मैठाणा गांव को आदर्श गांव बनाने का बीडा भी उठाया है। यहां पर एक हेक्टेयर भूमि पर कीवी के 500 पौध लगाने के साथ चैनलिंक फेन्सिंग कराई गई है। मैठाणा में ग्रामीणों को होमस्टे संचालन, किसानों को सब्जी उत्पादन से जोडने के साथ ही हाट बाजार, खेल मैदान और पौराणिक लक्ष्मी नारायण मंदिर का सौन्दर्यीकरण कराया जा रहा है। एक साथ इतने सारे कामों की ग्रामीणों ने उम्मीद भी नहीं की थी। यही नहीं श्री तिवारी ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में किसानों को सेब उत्पादन के लिए भी प्रेरित किया है। ऐसा नहीं है कि ये कोई नई योजनाएं हैं, बल्कि सभी योजनाएं राज्य सरकार द्वारा पहले से संचालित हैं। श्री तिवारी ने उन्हें इस तरह गति दी है कि एक साथ सभी पहलुओं पर काम तेजी से शुरू हुआ तो पांच माह में ही नतीजे दिखने लगे हैं।
जिले स्वास्थ्य एवं यातायात सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए भी डीएम प्रयासरत हैं और स्वयं इसकी मानिटरिंग कर रहे हैं। जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाए जा रहे हैं। बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए स्कूलों को हाइटेक बनाया जा रहा है। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में स्थित राइका भराडीसैंण को आदर्श स्कूल बनाने का काम जारी है। इसके अलावा जिले में एयरोस्पेस प्रयोगशाला बनाने की पहल भी शुरू की गई है।
जिलाधिकारी ने हीलाहवाली करने वाले विभागीय अधिकारियों पर भी नकेल कसी है। उन्होंने अधिकारियों स्पष्ट आदेश जारी करें है कि जनता को कोई समस्या न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाए। जिलाधिकारी की विकास कार्यशैली को लेकर जनता में नई उम्मीद जगी है।