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चंद्रयान-3 चला चाँद के सफर पर ; 23 या 24 अगस्त को उतरेगा चाँद पर

 

By – Jay Singh Rawat /Usha Rawat

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग हो गई है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया।  इसरो की ओर से कहा गया कि चंद्रयान-3 मिशन के जरिये अपने चंद्रमा मॉड्यूल द्वारा सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करके और घूमकर अंतरिक्ष एजेंसी नई सीमाओं को पार करेगी। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 23 या 24 अगस्त तक चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग होने की संभावना है। मिशन की सफलता से अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चौथा देश बन जाएगा।

 

भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है। ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था। यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा।

चंद्रयान मिशन चंद्र अन्वेषण और अध्ययन पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह, भूविज्ञान, खनिज विज्ञान और बाह्यमंडल के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है। पिछले मिशन, चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 ने चंद्रमा के बारे में हमारे ज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।

चंद्रयान-3 या किसी भी चंद्र अन्वेषण मिशन के संभावित महत्व में शामिल हो सकते हैं:

वैज्ञानिक अन्वेषण: यह मिशन शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को चंद्रमा की उत्पत्ति, विकास और भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह चंद्रमा की सतह की संरचना, खनिज संसाधनों और पानी की बर्फ की उपस्थिति पर डेटा प्रदान कर सकता है।

 

तकनीकी उन्नति: चंद्र मिशनों में अक्सर उन्नत प्रौद्योगिकियाँ और इंजीनियरिंग समाधान शामिल होते हैं। इन प्रौद्योगिकियों का विकास और कार्यान्वयन अंतरिक्ष अन्वेषण में प्रगति में योगदान दे सकता है और पृथ्वी पर विभिन्न क्षेत्रों को लाभान्वित कर सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: चंद्र मिशन अक्सर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सहयोग को बढ़ावा देते हैं। भाग लेने वाले देश संसाधनों, ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा कर सकते हैं, जिससे चंद्रमा और अंतरिक्ष अन्वेषण की व्यापक समझ विकसित हो सकेगी।

राष्ट्रीय प्रतिष्ठा: सफल चंद्र मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में देश की प्रतिष्ठा बढ़ा सकते हैं और इसकी तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकते हैं। वे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) शिक्षा में रुचि को प्रोत्साहित करते हुए जनता को प्रेरित और संलग्न भी कर सकते हैं।

वाणिज्यिक अवसर: चंद्र मिशन वाणिज्यिक उद्यमों के लिए अवसर खोल सकते हैं जैसे चंद्र संसाधनों का खनन, चंद्र आवास स्थापित करना, या गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए चंद्रमा को आधार के रूप में उपयोग करना। यह संभावित रूप से आर्थिक विकास और अंतरिक्ष-आधारित उद्योगों में योगदान दे सकता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी भविष्य के चंद्रयान -3 मिशन के विशिष्ट लक्ष्य और महत्व उसके उद्देश्यों, पेलोड और वैज्ञानिक उपकरणों पर निर्भर होंगे, जो इसरो और वैज्ञानिक समुदाय द्वारा निर्धारित किए जाएंगे।

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