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उत्तर भारत में इस बार लंबी चलेगी शीतलहर, 4–6 की जगह 8–11 दिन तक रह सकती है कड़ाके की ठंड

 


-उषा रावत

उत्तर और मध्य भारत में इस सीज़न (2025–26) के दौरान शीतलहर के दिनों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। आमतौर पर दिसंबर से फरवरी के बीच 4 से 6 दिन ही ऐसे होते हैं जब तापमान सामान्य से काफी नीचे गिर जाता है, लेकिन मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार शीतलहर 8 से 11 दिन तक बनी रह सकती है। यानी ठिठुरन भरी ठंड का दौर सामान्य से लगभग दोगुना लंबा हो सकता है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस स्थिति के पीछे कई बड़े वैश्विक और क्षेत्रीय कारण एक साथ सक्रिय हैं। सबसे पहले ला नीना की स्थिति बन रही है, जिसमें प्रशांत महासागर की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है। इसका असर यह होता है कि साइबेरिया और ध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली उत्तरी ठंडी हवाएं और मजबूत हो जाती हैं तथा बिना किसी रुकावट के भारत के मैदानी इलाकों तक पहुँच जाती हैं। इसके साथ ही पोलर वॉर्टेक्स के कमजोर पड़ने के संकेत भी मिल रहे हैं। इस कारण ध्रुवी ठंडी हवाएं सामान्य से ज्यादा दक्षिण की ओर खिसककर उत्तर भारत के राज्यों में प्रवेश कर रही हैं।

इसके अतिरिक्त इस अवधि में पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय रहने की संभावना जताई गई है। इनके चलते पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होगी और बर्फीली हवाएं नीचे मैदानी इलाकों तक पहुंचकर शीतलहर के दौर को और लंबा कर सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इससे लगातार कई दिनों तक दिन और रात का तापमान सामान्य से नीचे बना रह सकता है

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार शीतलहर का सबसे ज्यादा असर उत्तर-पश्चिम भारत में दिखाई देगा। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर के साथ मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों तथा उत्तर प्रदेश और बिहार के तराई क्षेत्र लंबे ठंडे दौर से प्रभावित हो सकते हैं। इन क्षेत्रों में घना कोहरा भी सामान्य से अधिक समय तक बना रहने का अनुमान है।
लंबी शीतलहर का असर जनजीवन पर भी स्पष्ट दिखाई देगा। कृषि क्षेत्र में जहां रबी फसल के लिए हल्की ठंड लाभकारी मानी जाती है, वहीं लगातार कई दिनों तक ठंड और पाला गिरने से दलहन व सब्जियों की फसल को नुकसान का खतरा बढ़ सकता है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह स्थिति संवेदनशील मानी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि हृदय और सांस की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी होगी। ठंड के साथ बने रहने वाले घने कोहरे से रेल और हवाई सेवाओं के प्रभावित होने तथा यातायात व्यवस्था में बाधा आने की आशंका भी जताई जा रही है।

मौसम विभाग का अनुमान है कि जनवरी का महीना सबसे चुनौतीपूर्ण रहेगा। फरवरी के दूसरे सप्ताह से ला नीना का असर धीरे-धीरे कम पड़ने लगेगा और इसके बाद तापमान में क्रमशः बढ़ोतरी देखी जा सकती है। तब तक लोगों को ठंड से बचाव के पूरे इंतज़ाम करने और सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

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