अल्मोड़ा स्थित इन्डियन मेडिसिन्स फार्मास्यूटिकल कारपोरेशन को निजी हाथों में सौपने का कांग्रेस ने किया विरोध
Indian Medicines Pharmaceutical Corporation Limited (IMPCL) is established under the Administrative control of the Ministry of AYUSH, Govt. of India on 12th July 1978 with the prime object to manufacture and market the Genuine and Efficacious Indian System of Medicines to CGHS, Central Government Research Units (C.C.R.A.S., C.C.R.U.M., etc.), Central/ State Government Institution(s), besides sales in the Trade Market IMPCL is one of the most trusted Manufacturer of Indian System of Medicines in the Country and is know for authenticity of its formulations. IMPCL is located in the valley of Uttarakhand Hills (ASL, 550 meter) in the corridor of National Jim Corbett Park. It is the only Central Public Sector Enterprise (CPSE) in the field of manufacturing Ayurvedic and Unani Medicines under the Ministry of AYUSH, Govt. of India. IMPCL is a joint venture of the Government of India (98.11% Equity Shares) and Uttarakhand State Government through KMVNL (1.89% Equity Shares). IMPCL is conferred Mini Ratna status by the Govt. of India due to its contribution towards Growth & Profit for the Attam Nirbhar Bharat as Self Reliant organization. The authorized Equity Share Capital of the Company is Rs. 75 Crore and the Paid-Up Share Capital is Rs. 51.98 Crore.- USR Admin
देहरादून 8 अक्टूबर। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री करन माहरा ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर जनपद अल्मोड़ा के मोहान स्थित इन्डियन मेडिसिन्स फार्मास्यूटिकल कार्पोरेशन लिमिटेड (आई0एम0पी0सी0एल0) के विनिवेश के प्रस्ताव पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन मथुरादत्त जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने मोहान, जिला अल्मोड़ा स्थित भारत सरकार के उपक्रम प्रतिष्ठान इन्डियन मेडिसिन्स फार्मास्यूटिकल कार्पोरेशन लिमिटेड (आई0एम0पी0सी0एल0) की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि विनिवेश मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयुष मंत्रालय के अधीन शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधियों के एकमात्र निर्माता प्रतिष्ठान इन्डियन मेडिसिन्स फार्मास्यूटिकल कार्पोरेशन लिमिटेड (आई0एम0पी0सी0एल0) का विनिवेश करते हुए निरंतर लाभ अर्जित करने वाले इस संस्थान को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है जो कि किसी भी परिस्थिति में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है।
माहरा ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि इंडियन मेडिसिन फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IMPCL) की स्थापना आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में 12 जुलाई 1978 को की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य वास्तविक और प्रभावकारी भारतीय चिकित्सा प्रणाली का निर्माण और विपणन CGHS, केंद्रीय सरकारी अनुसंधान इकाइयों (CCRAS, CCRUM आदि), केंद्रीय / राज्य सरकार के संस्थानों के लिए करना है, इसके अलावा व्यापार बाजार में बिक्री भी करना है। IMPCL देश में भारतीय चिकित्सा प्रणाली के सबसे भरोसेमंद निर्माता में से एक है और अपने फॉर्मूलेशन की प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है। IMPCL राष्ट्रीय जिम कॉर्बेट पार्क के गलियारे में उत्तराखंड हिल्स (ASL, 550 मीटर) की घाटी में स्थित है। यह आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के तहत आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के निर्माण के क्षेत्र में एकमात्र केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम (CPSE) है। आईएमपीसीएल को आत्मनिर्भर भारत के लिए विकास और लाभ में योगदान देने के कारण एक आत्मनिर्भर संगठन के रूप में भारत सरकार द्वारा मिनी रत्न का दर्जा दिया गया है। कंपनी की अधिकृत इक्विटी शेयर पूंजी 75 करोड़ रुपये है और चुकता शेयर पूंजी 51.98 करोड़ रुपये है।
श्री करन माहरा ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि इन्डियन मेडिसिन्स फार्मास्यूटिकल कार्पोरेशन लिमिटेड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र के पर्वतीय राज्य का विकास करने के साथ ही स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने तथा पर्वतीय क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली जडी-बूटियों का उपयोग कर उच्च कोटि की आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधियों का निर्माण करना है। यही नहीं निगम अपने स्थापना काल से भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निरंतर लाभ अर्जित करते हुए उच्च कोटि की आयुर्वेदिक एवं यूनानी दवाओं का उत्पादन कर रहा है। निगम द्वारा उत्पादित औषधियों की देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी काफी मात्रा में आपूर्ति की जा रही है जिससे भारत सरकार को करोड़ों रूपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है।
प्रदेश कांग्रेसअध्यक्ष ने यह भी कहा कि इन्डियन मेडिसिन्स फार्मास्यूटिकल कार्पोरेशन लिमिटेड संस्थान को लगभग 40 एकड सरकारी भूमि लीज पर दी गई थी। यदि निगम का विनिवेश होता है तो खरीददार द्वारा इस भूमि को आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के स्थान पर अन्य व्यवसायों में इस्तेमाल किये जाने की संभावना है जिससे इस संस्थान पर रोजगार के लिए आश्रित लोग पलायन को मजबूर होंगे। चूंकि उक्त भूमि विश्व विख्यात जिम कार्बेट नेशनल पार्क की सीमा से लगी हुई है जिससे खरीददार को व्यक्तिगत लाभ तो होगा परन्तु स्थानीय लोगों के रोजगार एवं वन्य क्षेत्र को भारी नुकसान होने की संभावना है।