राजनीति

कांग्रेस ने किया वन निगम में पुनः मालदारी/ठेकेदारी प्रथा प्रारम्भ करने का विरोध 

Karan Mahra, while addressing the media at the Pradesh Congress Headquarters, stated that the Government of India had issued directives for the extraction of forest resources through government agencies in 22 states. However, in 1995, the contractor system for forest exploitation was introduced in some states, including the Uttarakhand region of the erstwhile United Uttar Pradesh. Opposing this move, a person named Goda Varman filed a writ petition in the Supreme Court, requesting a ban on such practices. The Supreme Court issued a clear order stating that the extraction of forest resources could not be carried out by any external agency or contractor other than the Forest Department. Karan Mahra further stated that before 1974, the Maldhari system was prevalent across the country, under which forest resources were also exploited through contractors. However, to prevent the illegal exploitation of forest resources from an environmental perspective, the then-central government formed the Swaminathan Commission. The commission’s report recommended that forest resource extraction be carried out using scientific methods. Citing letter number 4326, dated February 3, 2025, issued by the Regional Manager Headquarters of the Uttarakhand Forest Development Corporation, Karan Mahra claimed that the corporation hastily issued directives to reintroduce the Maldhari/contractor system in the state. He asserted that this move was a clear violation of the High Court’s orders.

 

 

देहरादून, 30  मार्च।   उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने वन विकास निगम द्वारा आनन-फानन में आदेश जारी करते हुए राज्य में पुनः मालदारी/ठेकेदारी प्रथा प्रारम्भ करने के दिशा निर्देश जारी किये गये है जो कि  उच्च न्यायालय के आदेशों का स्पष्ट उलंघन  बताया  है।

करन माहरा  ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा 22 राज्यों में सरकारी ऐजेंसियो के माध्यम से ही वन सम्पदा का विदोहन कराने के निर्देश जारी किये गये थे । परन्तु 1995 में कुछ राज्यों जिसमें संयुक्त उत्तर प्रदेश राज्य का उत्तराखण्ड क्षेत्र शामिल है, में वनों के विदोहन के लिए ठेकेदारी प्रथा शुरू कर दी गई थी । जिसके विरोध में गोडा वर्मन नामक व्यक्ति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर इस पर रोक लगाये जाने की प्राथना की गई तथा  सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट आदेश जारी किये गये कि वनों के विदोहन का कार्य वन विभाग के अलावा किसी बाहरी ऐजेंसी अथवा ठेकेदारी के माध्यम से नही कराया जा सकता है।
करन  महरा  ने कहा कि पूरे देश में 1974 से पूर्व मालदारी प्रचलन थी, जिसके तहत वन सम्पदा के दोहन का कार्य भी ठेकदारों के माध्यम से कराया जाता था, परन्तु पर्यावरण दृष्टि से वन सम्पदा के अवैध दोहन को रोकने के लिए तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा स्वामीनाथन आयोग का गठन  किया गया था। स्वामीनाथन की रिपोर्ट में वन सम्पदा के विदोहन के कार्य को वैज्ञानिक तरीके से कराने की शिफारिस की गई थी ।
करन माहरा ने   उत्तराखण्ड वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक मुख्यालय के पत्रांक संख्या 4326 दिनांक 3 फरवरी 2025  का हवाला देते हुए कहा कि वन विकास निगम द्वारा आनन-फानन में आदेश जारी करते हुए राज्य में पुनः मालदारी/ठेकेदारी प्रथा प्रारम्भ करने के दिशा निर्देश जारी किये गये है जो कि उच्च न्यायालय के आदेशों का स्पष्ट उलंघन है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में वन विकास निगम ढॉचे में स्वीकृत 2828 पदों के सापेक्ष 1100 विभागीय कर्मचारी तथा 800 कर्मचारी आउट सोर्स के माध्यम से कार्यरत है तथा विभागीय अधिकारियों द्वारा वन संपदा के दोहन के काम से ठेकेदारी प्रथा शुरू करने की नीयत से आउट सोर्स कर्मचारियों को हटाने का षडयंत्र किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे यह भी प्रतीत होता है कि जिस प्रकार अंग्रेजों द्वारा मालदारी प्रथा के माध्यम से वन संपदा को लूटने को काम किया जाता था वही प्रथा वर्तमान सरकार लागू करना चाहती है, जिसका ताजा उदाहरण कोटद्वार विक्रय प्रभाग के पनियाली डिपो मेे विगत वर्ष ग्रेडिंग और चट्टा बंदी का कार्य 1 रूपया प्रतिघन मीटर की निविदा स्वीकृत की गई, जो कि तर्क संगत प्रतीत नही होता है।

उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में यह भी लाया गया है कि वन विकास निगम के कइ कर्मचारियों को सेवानिवृत्त हुए 5-6 वर्ष का समय हो गया परन्तु अभीतक उनके बकाया देयों का भुगतान नही हो पाया है जबकि मा. उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा भी कर्मचारियों के तत्काल भुगतान करने के आदेश दिये गये हैं जिसमें न्यायालय के आदेश का पालन नही किया गया है।

करन माहरा ने लालकॅुआ घोटाला प्रकरण का हवाला देते हुए कहा कि लालकुॅआ में 1 करोड़ 51 लाख की चोरी पकड़ी गई और खनन में हरिद्वार के गेट नम्बर 1 और 2 में 18 लाख रूपया, गेन्डीखाता में 19 लाख रूपया पकड़ा गया परन्तु आजतक प्रशासन व सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नही की गई है। उन्होंने जिलाधिकारी देहरादून द्वारा खाद्य विभाग में डाले गये छापे की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि जिलाधिकारी द्वारा अपने छापे के दौरान विभाग में सड़ा-गला सामान पाया गया। यह खाद्य सामग्री कहा से आई कहॉ गया आजतक कुछ भी पता नही है। उक्त खाद्य सामग्री आगनवाडी के बच्चों को भी सप्लाई की गई होगी कहॉ-कहॉ सप्लाई की गई अभीतक किसी भी प्रकार का खुलासा नही हुआ है और ना ही किसी की जबावदेही तय की गई। उन्होंने कहा कि इसी विभाग में कुपोषित बच्चों के कल्याण के लिए 430 करोड़ रूपया खर्च किया गया। परन्तु इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बावजूद भी कुपोषित बच्चों की संख्या ढाई प्रतिशत बडी है। करन माहरा ने कहा कि आप सब विज्ञ है कि उत्तराखण्ड राज्य को पहली बार राष्ट्रीय खेलों का सौभाग्य प्रातः हुआ था। परन्तु जिस प्रकार की अव्यवस्थाओं का आलम था आप जानते हेैं। उन्होंने कहा कि विभाग पर मेडल बेचने के आरोप भी लगे पर आज तक किसी भी प्रकार की जॉच हुई और ना ही किसी जिम्मेदार  अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही हुई।

करन माहरा ने सहकारिता विभाग में कोरोना के दौरान 428 चतुर्थ कर्मचारियों के भर्ती घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि पहली बार ऐसा हुआ कि उक्त चतुर्थ कर्मचारियों की परीक्षाये उत्तर प्रदेश के ंनोएड़ा में की गई। जब घोटाले पर हल्ला हुआ तो विभागीय मंत्री द्वारा एसआईसी जॉच कराये जाने की जानकारी दी गई, परन्तु आजतक जॉच का खुलासा नही हुआ है। उन्होंने कहा कि उक्त घोटाला की जॉच करवाये जाने केे लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल जी ने प्रमुखता के साथ उठाया था। परन्तु अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आजतक एसआईटी जॉच की रिपोर्ट सार्वजनिक नही हो पाई है।

 

उन्होंने कहा कि एलयूसीसी सहकारिता घोटाले में घोटालेबाजों को प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री का पूर्ण सरक्षण प्राप्त है और अब सरकार के मंत्री उल्टा चोर कोतवाल को ढॉढे की कहावत चरित्रार्थ करते हुए कांग्रेस पर ही आरोप लगाने का काम कर रहे है

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