सुरक्षा

एसीसी-126 कोर्स के 71 कैडेट्स भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्य धारा में शामिल

देहरादून, 05 दिसंबर। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए), देहरादून के आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) विंग का दीक्षांत समारोह आज 05 दिसंबर 2025 को आईएमए हॉल में अत्यंत गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। तीन वर्ष की कठिन शैक्षणिक एवं सैन्य प्रशिक्षण प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी करने वाले एसीसी-126 कोर्स के 71 कैडेट्स को इस अवसर पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से स्नातक की उपाधि प्रदान की गई।

समारोह के मुख्य अतिथि एवं आईएमए कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल नगेंद्र सिंह, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम ने विज्ञान संकाय के 30 तथा मानविकी संकाय के 41 कैडेट्स को डिग्री प्रदान की। ये कैडेट्स अब जनवरी 2026 से भारतीय सैन्य अकादमी में एक वर्षीय प्री-कमीशनिंग प्रशिक्षण के लिए अधिकारी कैडेट्स के रूप में मुख्य धारा में शामिल हो जाएंगे।

दीक्षांत संबोधन में लेफ्टिनेंट जनरल नगेंद्र सिंह ने कैडेट्स को बधाई देते हुए कहा, “चरित्र, अनुशासन, साहस, सकारात्मक सोच और प्रोफेशनल दक्षता ही प्रभावी सैन्य नेतृत्व की नींव हैं।” उन्होंने कैडेट्स से सदैव उत्कृष्टता और देशसेवा के प्रति समर्पण बनाए रखने का आह्वान किया।

उत्कृष्ट कैडेट्स को मिले सम्मान

  • चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) मेडल्स → गोल्ड मेडल: विंग कैडेट कैप्टन हरी केशर वाग्ले → सिल्वर मेडल: विंग कैडेट क्वार्टर मास्टर सागर उप्पल → ब्रॉन्ज मेडल: विंग कैडेट एडजुटेंट कुलविंदर
  • कमांडेंट सिल्वर मेडल → सेवा विषयों में प्रथम: कंपनी कैडेट कैप्टन भाव्या चौहान → मानविकी में प्रथम: विंग कैडेट कैप्टन हरी केशर वाग्ले → विज्ञान में प्रथम: विंग कैडेट क्वार्टर मास्टर सागर उप्पल

इसके अलावा, खेल, शारीरिक प्रशिक्षण, कैंप प्रदर्शन, शस्त्र प्रशिक्षण, अकादमिक्स, वाद-विवाद, सेवा विषय और आंतरिक व्यवस्था सहित सभी क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली कारगिल कंपनी को प्रतिष्ठित कमांडेंट बैनर से सम्मानित किया गया।

कमांडेंट ने एसीसी विंग के कमांडर ब्रिगेडियर पियूष खुराना, एसएम तथा संपूर्ण प्रशिक्षण एवं शैक्षणिक स्टाफ की सराहना करते हुए उनके द्वारा कैडेट्स में चरित्र-निर्माण और नेतृत्व क्षमता विकसित करने के प्रयासों को अतुलनीय बताया।

अभिभावकों की उपस्थिति और उनके चेहरों पर गर्व की चमक के बीच यह दीक्षांत समारोह कैडेट्स की अनुशासन, परिश्रम और परिवर्तन की यात्रा का जीवंत प्रतीक बन गया। ये 71 नव-स्नातक अब भारतीय सेना के भावी अधिकारी बनने की दहलीज पर खड़े हैं और जल्द ही देश की रक्षा के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होंगे।

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