उत्तराखंड के कृषि विभाग का घोटाला ; मरे किसानों के नाम पर भी करोड़ों डकार लिए
देहरादून, 4 जनवरी. उत्तराखंड कांग्रेस ने कृषि मंत्री के अपने विधानसभा क्षेत्र में मृत किसानों के नाम पर भी करोड़ों का घोटाला उजागर करते हुए सवाल उठाया है की इतना बड़ा घोटाला बिना मंत्री की जानकारी के कैसे हो सकता है? अगर मंत्री को सचमुच घोटाले की जानकारी नहीं है तो ऐसे बेखबर मंत्री को वैसे भी पद पर नहीं रहना चाहिए।
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने गुरुवार को कांग्रेस भवन में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में आपसी मिली भगत से अधिकारी और निजी कंपनी 1.5 करोड़ खा गए ।
दसौनी ने आरोप लगाया कि विभागीय मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में इतने बड़े कारनामें को अंजाम दिया गया है और यह बिना मंत्री के संरक्षण या सांठ गांठ के संभव नहीं है। दसौनी ने बताया की सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के अनुसार किसानों के अधिकारों पर डाका डाला गया , फर्जी साइन कर पैसे निकाल लिए गए । इन किसानों में कुछ मृत हैँ। दसौनी ने बताया कि 2022-23 के वित्तीय वर्ष 31 मार्च को खत्म होने से पहले 28 मार्च 2023को एक ही मोहर और एक ही दिन 200 खातों में डेढ़ करोड़ रुपया ट्रांसफर कर दिया गया।
दसौनी के अनुसार मृत किसानो के भी साइन कर दिए गए और तो और अनपढ़ महिला के हस्ताक्षर अंग्रेजी में किये गया हैं ।
एक ही दिन में 200 किसानों का सत्यापन, एक ही वकील की मुहर, सत्यापन का एक भी फोटो मौजूद नही जबकि नियमानुसार फील्ड में जाकर करना होता हैं सत्यापन। किसानों के घर पानी नहीं हैं लेकिन लाखो के पाइप और फुव्वारे फेंक गए अधिकारी । उन्होंने कहा कि यह कृषि विभाग के विधानसभाक्षेत्र, ब्लॉक और न्यायपंचयात स्तर के अधिकारियों और निजी कंपनी की मिलीभगत का मामला है । मामले में 4 से 6 अलग अलग कंपनियों की संलिप्तता, है और सभी कंपनियां एक ही व्यक्ति या रिश्तेदारों की होने की संभावना। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला पूरी तरह से विभागीय मंत्री की विधानसभा से जुड़ा हैं उसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नही, क्या मंत्री की शह पर सब हुआ है?
दसोनी ने प्रदेश के मुखिया का आह्वान करते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री धामी स्वयं को भ्रष्टाचार पर चोट करने वाला और जीरो टॉलरेंस का मुख्यमंत्री कहते हैं तो उन्हें चुनौती है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की सच्चाई प्रदेश की जनता के सामने रखें ,उसमें किस तरह से पैसे की बंदर बाट हो रही है और किसानों के अधिकार और हक का पैसा मारा जा रहा है इसको जनता के सामने रखें। दसौनी ने यह भी कहा कि जो भी मंत्री विधायक या अधिकारी गरीब किसानों के हक् का पैसा या निवाला खा रहे हैं उनका जमीर किस हद तक मर चुका होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है