देहरादून आपदा: मृतकों का आंकड़ा 23 पहुंचा, 17 अब भी लापता

देहरादून 18 सितम्बर। दून घाटी में आई भीषण आपदा ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। सोमवार को राहत एवं बचाव दलों ने मलबे से छह और शव निकाले। इसके साथ ही मृतकों की संख्या बढ़कर 23 हो गई है, जबकि 17 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। प्रशासन के मुताबिक, अब तक बरामद हुए 23 शवों में से 18 की शिनाख्त हो चुकी है।
आपदा प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। लेकिन भारी बारिश और लगातार भूस्खलन से रेस्क्यू कार्य में कठिनाई आ रही है। कई गांव अब भी बाहरी संपर्क से कटे हुए हैं।
सहारनपुर तक बहकर पहुंचे शव
रविवार रात आई तबाही के बाद से नदी-नाले उफान पर हैं। सहसपुर क्षेत्र के माजरा में यमुना नदी में बहकर दो शव 50 किलोमीटर दूर सहारनपुर जिले के मिर्जापुर में मिले। वहीं, देहरादून के फुलेट गांव में छह मजदूर अब तक लापता हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अचानक पहाड़ दरकने से कई मकान पलभर में मलबे में समा गए। रेस्क्यू दलों ने यहां से कई शव बरामद किए हैं, लेकिन अभी और लोगों के दबे होने की आशंका है।
माजरा में मलबे से दबे मकान
माजरा क्षेत्र में हुए भीषण भूस्खलन के बाद दर्जनों मकान जमींदोज हो गए। मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए जेसीबी और अन्य संसाधनों की मदद ली जा रही है। बचाव दल के सदस्य लगातार मलबा हटाकर दबे हुए शवों और घायलों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन पहाड़ से गिरते पत्थर और मिट्टी के कारण बार-बार कार्य प्रभावित हो रहा है।
छोटे वाहनों के लिए खुला मसूरी मार्ग
आपदा के कारण देहरादून-मसूरी के दोनों मार्ग बंद हो गए थे। सोमवार शाम तक प्रशासन ने किमाड़ी मार्ग छोटे वाहनों के लिए खोल दिया है। हालांकि, बड़े वाहनों की आवाजाही अभी भी प्रतिबंधित है। दूसरी ओर मसूरी-देहरादून मुख्य मार्ग को खोलने के प्रयास जारी हैं।
भारी बारिश का नया अलर्ट
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटे में पर्वतीय क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। इस कारण नए भूस्खलन और जलभराव का खतरा और बढ़ गया है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और खतरे वाले क्षेत्रों से दूर रहने की अपील की है।
लापता लोगों की तलाश जारी
आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि राहत-बचाव कार्य पूरी क्षमता से जारी है। लापता लोगों की तलाश के लिए अतिरिक्त टीमें तैनात की गई हैं। मृतकों के परिजनों की सहायता और घायलों के उपचार के लिए जिलाधिकारी स्तर पर विशेष नियंत्रण कक्ष बनाया गया है।
आपदा की विभीषिका से प्रभावित गांवों में मातम पसरा हुआ है। जगह-जगह सिसकियों और चीख-पुकार के बीच लोग अपने परिजनों के सुरक्षित लौटने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
