क्षेत्रीय समाचार

करोड़ों खर्च होने के बावजूद अधूरा पड़ा पॉलिटेक्निक कॉलेज नागनाथ पोखरी का भवन, आवारा पशुओं का अड्डा बना परिसर

-पोखरी से राजेश्वरी राणा-
क्षेत्रीय जनता की वर्षों पुरानी मांग पर 2014 में पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र सिंह भण्डारी के प्रयासों से पोखरी में राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना की गई थी। सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल—तीन ट्रेडों के साथ शुरू किए गए इस कॉलेज का उद्देश्य स्थानीय युवाओं को तकनीकी शिक्षा देकर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना था। लेकिन यह सपना आज भी अधूरा है।

कॉलेज की शुरुआत देवर में किराए के एक निजी भवन से हुई। बाद में उदयपुर के ग्रामीणों ने 51 नाली भूमि दान कर स्थायी भवन निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। शासन ने इसके लिए 3.22 करोड़ रुपये स्वीकृत किए और उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को कार्यदायी संस्था नियुक्त किया। 2015 में निर्माण कार्य शुरू भी हुआ, लेकिन 2017 तक पूरा बजट खर्च होने के बावजूद भवन आज तक अधूरा पड़ा है।

आठ साल बीतने के बाद भी भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है। टूटी-फूटी दीवारें, कंटीली झाड़ियां और टूटे शीशों वाली खिड़कियां अब इसे आवारा पशुओं का अड्डा बना चुकी हैं। जबकि कॉलेज में इस समय 192 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं, जिन्हें अब तक स्थायी भवन नहीं मिल पाया है। इससे स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है।

भूमि दान करने वालों में हरीश खाली, विनोद प्रसाद खाली, मदन सिंह, टीका प्रसाद खाली सहित कई ग्रामीणों ने निर्माण निगम की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है। नगर पंचायत अध्यक्ष सोहन लाल, पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद पंत, प्रमुख राजी देवी, ज्येष्ठ प्रमुख ऊषा कण्डारी, पूर्व प्रमुख प्रीति भण्डारी, पूर्व प्रमुख नरेंद्र रावत, एडवोकेट श्रवण सती, टैक्सी यूनियन अध्यक्ष विजयपाल सिंह रावत, जिला पंचायत सदस्य व व्यापार मंडल अध्यक्ष बीरेंद्र सिंह राणा, विनगढ़ की प्रधान मीना चौहान, पूर्व प्रधानाचार्य व सामाजिक कार्यकर्ता कुंवर सिंह चौधरी, राज्य आंदोलनकारी संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष कुंवर सिंह खत्री, विधायक प्रतिनिधि धीरेन्द्र राणा और किमोठा के प्रधान ब्रह्मचारी हरिकृष्ण किमोठी सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर जल्द से जल्द अधूरा भवन पूरा कराया जाए ताकि छात्र-छात्राओं की कक्षाएं स्थायी भवन में संचालित हो सकें।

स्थानीय जनता ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।

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