विज्ञान प्रोद्योगिकी

गर्म एक्सट्रीम हीलियम तारोंमें फ्लोरीनकी खोज से उनके विकास रहस्य के बारे में पता चला

A study by the Indian Institute of Astrophysics (IIA) an autonomous institute of the Department of Science and Technology which detected the presence of singly ionized fluorine for the first time in the atmospheres of hot Extreme Helium Stars makes a strong case that the main formation of these objects involves a merger of a carbon-oxygen (CO) and a Helium (He) white dwarf. The research published in the Astrophysical Journal, led by Anirban Bhowmick (Ph.D. student, IIA, Bengaluru), Prof. Gajendra Pandey (IIA), and Prof. David Lambert (University of Texas at Texas-Austin), showed that abundance determined from singly ionized fluorine (F II) lines suggest a very high enrichment of fluorine, about a factor of 100 to 10000 times higher than normal stars.

 

By- Usha Rawat

एक एक्सट्रीम हीलियम तारा या ईएचई एक कम द्रव्यमान वाला सुपरजायंट है जिसमे हाइड्रोजन मौजूद नहीं होता है। हाइड्रोजन ब्रह्मांड का सबसे आम रासायनिक तत्व है। हमारी आकाशगंगा में अब तक ऐसे21 तारों का पता लगाया गया है। इन हाइड्रोजन रहित वस्तुओं की उत्पत्ति और विकास एक रहस्य है। उनकी रासायनिक विशिष्टताएँविकास के स्थापित सिद्धांत को चुनौती देती हैं,क्योंकि इनकीरासायनिक संरचना कम द्रव्यमान वाले विकसित तारों के साथ मेल नहीं खाती है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) के अध्ययन द्वारा गर्म एक्सट्रीम हीलियम स्टार्स के वायुमंडल में एकल आयन फ्लोरीन की उपस्थिति का पहली बार पता चला है जो स्पस्ट करता है कि इनपिंडों  में कार्बन-ऑक्सीजन (सी ओ ) और एक हीलियम (एच इ ) वाइट ड्वार्फ का विलय मौजूद होता है।

Figure 1: Observed F ii lines in 3850 ̊A window of the hot EHe V2205 Oph (solid line) with key lines marked. Synthetic spectra are shown for four fluorine abundances.

अनिर्बान भौमिक (पीएचडी छात्र, आईआईए, बेंगलुरु), प्रो गजेंद्र पांडे (आईआईए) और प्रो डेविड लैंबर्ट (टेक्सास-ऑस्टिन, टेक्सास विश्वविद्यालय) के नेतृत्व में एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि एकल  आयन फ्लोरीन (एफ II) लाइनों से निर्धारितफ्लोरीन बहुतायत, फ्लोरीन के बहुत उच्च संवर्धन को दिखाते हैं। यहसामान्य तारों की तुलना में 100 से 10000 गुना अधिक हो सकता है।

एक्सट्रीम हीलियम तारों के विकास के बारे में जानने के लिए उनकी रासायनिक संरचना के सटीक निर्धारण की आवश्यकता होती है, और विशिष्टता, यदि कोई हो, तो बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।हाइड्रोजन रहित इन पिंडों के विकास को समझने में फ्लोरीन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।सामान्य तारों (800- 8000 के क्रम का) के सन्दर्भ में उच्च फ्लोरीन संवर्धन ठंढे ईएच तथा ठंढे क्लासिकल हाइड्रोजन रहित पिंडोंमें पाया गया, आरसीबी वैरिएबल (आर कोरोना बोरिलिस स्टार्स) उन दोनों के बीच निकट विकासवादी संबंध को इंगित करता है। वैज्ञानिकों ने फ्लोरीनप्रचुरतापर आधारित गर्म ईएच (ईएच प्रभावी तापमान ≥14000 के) के साथ ठंढे ईएच के संबंध का पता लगाया और इसकी मौजूदगी पहले वाले में पाई गयी।इस प्रकार प्रभावीतापमान की विस्तृत श्रृंखला में एक विकासवादी संबंध स्थापित किया गया।

मैकडॉनल्ड्स वेधशाला, यूएसए और ईएसओ अभिलेखागार के डेटा के साथ  भारतीय खगोलीय वेधशाला (आईएओ) में द्वारा संचालित2-मीहिमालयी चंद्र टेलिस्कोप पर स्थित हानले एचेल्ले स्पेक्टोग्राफ (एचईएसपी), हानले, लदाख से  10 हॉट ईएचएस के उच्च-रिज़ॉल्यूशन इचेल स्पेक्ट्रा प्राप्त किये गए।

फ्लोरीनप्रचुरता के साथ अन्य प्रमुख तत्वों की प्रचुरता की तुलना की गयी, इसके आधार पर वैज्ञानिक फ्लोरीन संवर्धन के लिए जिम्मेदार चैनलों को निर्धारित कर सकते हैं। समान वायुमंडलीय मापदंडों वाले तारों में फ्लोरीनप्रचुरताकी विभिन्न रेंज तारे के विकास और आगामी न्यूक्लियोसिंथेसिस के अंतर को इंगित करती है। विशेष रूप से, कार्बन-समृद्ध ईएच के वायुमंडल में फ्लोरीन का संवर्धन और कार्बन की अल्प मात्रा वाले ईएचमें इसकी अनुपस्थिति बताती है कि एच ई -सीओ डब्ल्यूडी के विलय के दौरान फ्लोरीनका अत्यधिक उत्पादन होता है, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन-समृद्ध ईएच बनता है जबकि एच ई – एच ई-सीओ का विलय फ्लोरीनकी अत्यधिक प्रचुरता के लिए जिम्मेदार नहीं है।

गर्म ईएचई के वायुमंडल में अधिकफ्लोरीनप्रचुरताका पता लगाने से उनके निर्माण के बारे में दशक पुराना रहस्य हल हो जाता है। यह गर्म ईएचईके विकास क्रम में ठंढे ईएचई और अन्यहाइड्रोजन-रहित तारों के विकासवादी परिदृश्य की बारे में जानकारी देता है, जिसमें दो ह्वाइट ड्वार्फ (डब्ल्यूडी) का विलय शामिल है।

(Publication details: The Astrophysical Journal, Volume 891, Issue 1, id.40 https://iopscience.iop.org/article/10.3847/1538-4357/ab6e6d)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!