पांडव नृत्यों और बन्याथ यात्राओं के जैसे आयोजनों के कारण भक्तिमय नजर आ रहा है गढ़वाल इन दिनों
-गौचर से दिग्पाल गुसांईं –
नए साल के आगाज के साथ ही इन दिनों आस्था का ज्वार उमड़ पड़ा है। जगह जगह पांडव लीला के साथ ही देवी देवताओं की बन्याथ यात्राओं से क्षेत्र में भक्तिमय का माहौल देखने को मिल रहा है।
दिसंबर माह के बाद पहाड़ी क्षेत्रों के लोग फुर्सत के क्षणों में जीवन व्यतीत करते हैं। जाड़ों का सीजन शुरू होते ही ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी व निचले इलाकों में शीतलहर चलने की वजह से लोग अलाव के सहारे जीवन यापन करने को मजबूर रहते थे। लेकिन पिछले दो सालों से मौसम में आए बदलाव की वजह से ऊंचाई वाले इलाकों के लोग बर्फबारी तो निचले इलाकों के लोग बारिश के लिए तरस गए हैं। इससे जहां फसलों को भारी नुक्सान की आसंका व्यक्त की जाने लगी है वहीं समय से पहले गर्मी का अहसास भी होने लगा है।
इन दिनों आयोजित हो रहे पांडव लीला व बन्याथ यात्रा को जहां मनोरंजन से जोड़कर देखा जा रहा है वहीं आस्था भी नजर आ रही है। इन दिनों क्षेत्र में जगह जगह जहां पांडव लीलाओं की बाढ़-सी आ गई है। वहीं देवी देवताओं की बन्याथ यात्राओं के निकलने से पूरा क्षेत्र भक्तिमय नजर आ रहा है।
सिदोली क्षेत्र के ढमढमा,खरसाईं,के बाद विकास खंड पोखरी के करछुना, रानों के बाद अब बमोथ में भी पांडव लीला की धूम मची हुई है। गौचर पालिका क्षेत्र के पनाई गांव वासियों ने भी पांच जनवरी से पांडव लीला के आयोजन का निर्णय ले लिया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पांडव लीला के आयोजन से पशुओं की बीमारी से निजात मिल जाती है।
गत वर्ष क्षेत्र में लंम्पी व खुरपका बीमारी से पशुपालकों को काफी नुक़सान उठाना पड़ा था। क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर आयोजित हो रहे पांडव लीला को इसी मान्यता से जोड़कर देखा जा रहा है। दूसरी ओर बिजराकोट के रावल देवता व नैना देवी की बन्याथ यात्रा इलाके में जगह घूमकर लोगों को सुखी जीवन का आशीर्वाद देर हैं। इन आयोजनों में लोगों की भारी भीड़ जुट रही है।