धामधार- कर्तिया की सिंचाई नहर हुई खस्ताहाल, सिंचाई के लिए तरसे किसान
–रिखणीखाल से प्रभुपाल सिंह रावत-
रिखणीखाल प्रखंड के मंदाल घाटी के किनारे बसे गांव सिंचाई को तरस रहे हैं।इस मन्दाल नदी के दोनों तरफ पूरा इलाका सिंचित कृषि भूमि है।कभी हमने छोटी कक्षाओ में पढ़ा था कि भारत कृषि प्रधान देश है लेकिन अब कहीं सुनने को नहीं मिलता।इस क्षेत्र में मन्दाल नदी बहती हैं,यहाँ की मुख्य फसलें गेंहू और धान ही है।इसी परिप्रेक्ष्य में आज से 65 साल पहले सन 1957 में ग्राम धामधार से कर्तिया,नौदानू तक लगभग छः किलोमीटर सिंचाई नहर का निर्माण किया गया था कि किसानों की पैदावार अच्छी हो लेकिन समय के साथ-साथ अब ये नहर विभाग की अकर्मण्यता व उदासीनता से दम तोडने लगी है।इसी नहर के साथ-साथ लगभग पन्द्रह बीस गांवो तक आने जाने का ये पैदल रास्ता भी है।इस नहर पर वही दर्जनभर से अधिक गांव सिंचाई पर निर्भर रहते हैं।लेकिन अब इस नहर की हालत ऐसी हो गयी है कि नहर के अन्दर बाहर खरपतवार,घास,मिट्टी,रेत,बजरी आदि से भरा अटा पड़ा है,नहर की मरम्मत व रखरखाव कयी सालों से नहीं हुआ।
अब समय आ गया है धान की रोपाई का लेकिन नहर में सिचाई के लिए पानी कैसे आयेगा,ये चिन्ता का विषय बना हुआ है।
इस बात की जानकारी उसी क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीण महेन्द्र सिंह नेगी निवासी गंगागांव ने अपनी पीड़ा जाहिर की है।नहर के साथ-साथ कई गाँवो का पैदल मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो रखा है।यही एक पैदल रास्ता है जो इन सभी गांवो को आपस में जोड़ता है।कहने का तात्पर्य ये है कि नहर व पैदल मार्ग की हालत जर्जर बनी है।
क्या सिंचाई विभाग इस धामधार कर्तिया नहर की साफ-सफाई,रखरखाव मरम्मत आदि पर अपना ध्यान आकर्षित करेगा या किसान इस साल धान की रोपाई से वंचित रहे।